रामेश्वर धाकड़
भोपाल। मप्र सरकार इन दिनों प्रदेश के अलग-अलग हिस्से एवं दूसरे प्रदेशों में स्थित अचल संपत्ति को बेच रही है। सरकार ने झांसी स्थित लोक निर्माण विभाग के रेस्ट हाउस को भी बेचने के लिए चिह्नित किया है। करीब 8 एकड़ में फैली 400 करोड़ की संपत्ति को बेचने पर उप्र की योगी सरकार ने अड़ंगा लगा दिया है। जिसको लेकर दोनों राज्यों के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। हालांकि रेस्ट हाउस बेचने की कवायद से मप्र सरकार ने फिलहाल कदम पीछे खींच लिए हैं। मप्र सरकार के लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग ने झांसी रेस्ट हाउस को बेचने के लिए चिह्नित किया था। इसको लेकर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की अध्यक्षता में जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, कृषि मंत्री कमल पटेल, जनजाति कल्याण मंत्री मीना सिंह एवं अफसरों के बीच कई बार बैठकें हो चुकी हैं।
बैठक में झांसी रेस्ट हाउस बेचने पर सहमति भी बन गई थी। रेस्ट हाउस की 8 एकड़ जमीन की अनुमानित कीमत 400 करोड़ है। जब मप्र सरकार ने झांसी रेस्ट हाउस बेचने के लिए कलेक्टर झांसी को अवगत कराया तो उन्होंने इसकी मंजूरी देने से हाथ खड़े कर दिए। क्योंकि राजस्व रिकॉर्ड में झांसी रेस्ट हाउस का भू-स्वामी झांसी कलेक्टर है। मप्र सरकार ने जब झंासी कलेक्टर पर दबाव बनाया को उन्होंने प्रस्ताव लखनऊ स्थित मंत्रालय भेज दिया। वहां जाकर प्रस्ताव ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इसके बाद मप्र सरकार ने 400 करोड़ की संपत्ति बेचने से हाथ पीछे खींच लिए है।
प्रबंधन झांसी कलेक्टर, निगरानी ईई दतिया के पास
झांसी स्थित रेस्ट हाउस की देखदेख का जिम्मा लोनिवि के कार्यपालन यंत्री दतिया के पास है। स्टेट काल से ही झांसी में रेस्ट हाउस है। इसका प्रबंधन झांसी कलेक्टर के पास है। यहां मप्र के सरकार के मंत्री, अधिकारी एवं अन्य व्हीआईपी ठहरते हैं। कलेक्टर दतिया के निर्देश पर ईई लोनिवि दतिया आवंटन देखते हैं।
झांसी स्थित रेस्ट हाउस मप्र सरकार का है। उसे बेचने के लिए चिह्नित किया था। प्रक्रिया जारी है।
नीरज मंडलोई, प्रमुख सचिव, लोनिवि
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