नई दिल्ली। ईरान (Iran) ने मंगलवार को इजरायल (Israel) पर करीब 200 मिसाइलों (Attacked with 200 missiles) से हमला किया था। इसके बाद से आशंका जताई जा रही है कि इजरायल (Israel) ईरान (Iran) पर पलटवार कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो न सिर्फ मिडिल ईस्ट (Middle East) और पश्चिम एशिया (West Asia) में संघर्ष तेजी से बढ़ेगा और क्षेत्रीय भू-राजनीति में खलबली मचेगी बल्कि दोनों देश सीधे-सीधे युद्ध में उतर जाएंगे, जिसका भारत समेत पूरी दुनिया पर असर पड़ सकता है। सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इजरायल ईरान पर बड़ा हमला करने की तैयारी में है और उसके संभावित लक्ष्यों में ईरान के तेल डिपो, हवाई अड्डे, परमाणु ठिकाने, यूरेनियम खदानें, सैन्य ठिकाने और रिसर्च रिएक्टर सेंटर्स हैं।
बढ़ते तनाव को देखते हुए भारत में भी नई दिल्ली में इजरायली दूतावास की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। दिल्ली पुलिस ने दूतावास के बाहरी इलाके की घेराबंदी कर दी है। अगर दोनों देश युद्ध में उलझते हैं तो इसका भारत पर भी असर पड़ सकता है क्योंकि इन दोनों देशों से भारत के व्यापारिक संबंध रहे हैं। इजरायल जहां तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी है, वहीं ईरान प्रमुख तेल उत्पादक देश है। इस बीच, भारतीय विदेश मंत्रालय ने नागरिकों को ईरान की गैर-जरूरी यात्राओं से बचने की सलाह दी है। विदेश मंत्रालय ने ईरान में रहने वाले भारतीयों से भी सतर्क रहने और तेहरान में भारतीय दूतावास के संपर्क में रहने को कहा है।
भारत-इजरायल व्यापारिक संबंधों पर असर
भारत और इजरायल के बीच द्विपक्षीय व्यापार होता रहा है। 1992 में भारत और इजरायल के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद से, द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक संबंधों में तेजी से प्रगति हुई है। 1992 में 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार अब बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 6.53 बिलियन अमेरिकी डॉलर (रक्षा को छोड़कर) हो चुका है।
भारत जहां इजरायल को हीरे-जवाहरात, मोती, कीमती पत्थर, ऑटोमोटिव डीजल, विमानन टरबाइन ईंधन, विद्युत उपकरण, कपड़ा, रडार उपकरण, परिवहन उपकरण, चावल और गेहूं का निर्यात करता है, वहीं इजरायल से रक्षा और तकनीकि उपकरण, अंतरिक्ष उपकरण, पोटेशियम क्लोराइड, मेकैनिकल एप्लायंस, खनिज, प्रिंटेड सर्किट आदि आयात करता है। 2018 में इजरायल के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने साइबर सुरक्षा, तेल और गैस, सौर ऊर्जा, अंतरिक्ष विज्ञान, हवाई परिवहन, दवाएं और फिल्म निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे।
भारत-ईरान के बीच व्यापारिक संबंध
ईरान और भारत के भी रिश्ते बहुत पुराने हैं। भारत के 1958 से ईरान के साथ राजनयिक संबंध हैं। भारत ईरान को चावल, चीनी, मानव निर्मित स्टेपल फाइबर, इलेक्ट्रॉनिक मशीन, कृषि वस्तुओं के उत्पाद, मीट, स्किम्ड मिल्क, छाछ, घी, प्याज, लहसुन और डिब्बाबंद सब्जियां निर्यात करता रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, ईरान 2014-15 से भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा या दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश रहा है और उसने 2022-23 में 998,879 मीट्रिक टन चावल खरीदा था। बदले में ईरान से भारत तेल, मिथाइल अल्कोहल, पेट्रोलियम पदार्थ, खजूर और बादाम, सूखे मेले, कांच के बर्तन आदि आयात करता है।
माना जा रहा है कि युद्ध होने से द्विपक्षीय व्यापार बाधित हो सकता है और आयात-निर्यात घट सकता है, इससे भारतीय बाजार में जहां कुछ सामान महंगे हो सकते हैं, वहीं कुछ उत्पादों की कीमतें गिर सकती हैं। इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। हालांकि, ईरान और इजरायल दोनों ही देश युद्ध से परहेज करते रहे हैं लेकिन परिस्थितियों में और गिरावट आने पर दोनों देश युद्ध में जा सकते हैं। इन दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ने का सबसे ज्यादा असर तेल की कीमतों पर पड़ेगा। जानकारों के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में कच्चा तेल 5 प्रतिशत तक महंगा हो सकता है। इससे भारत के तेल आयात मद पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है।
इसके अतिरिक्त भारत के लिए विदेश नीति के मोर्चे पर भी चुनौतियां बढ़ सकती हैं क्योंकि ईरान में करीब 4000 भारतीय रहते हैं। इनमें ज्यादातर छात्र या कारोबारी हैं। युद्ध की स्थिति में भारत को आपात स्थिति में इन्हें वहां से निकालना पड़ सकता है। ज्यादातर भारतीय तेहरान में रहते हैं। इसके अलावा बिरिजंद, जबोल, मशहद में भी कुछ भारतीय रहते हैं। इजरायल में भी भारत के लोग रह रहे हैं। वहां करीब 85,000 भारतीय मूल के यहूदी निवास करते हैं। करीब 18 से 20 हजार भारतीय इजरायल में नौकरी भी करते हैं। वे सभी कंस्ट्रक्शन, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में कार्यरत हैं। इनके अलावा वहां करीब 1000 छात्र पढ़ाई करते हैं।
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