दिमागी दिवालिया बनी सरकार… यदि फूड प्रोसेसिंग के लिए जमीन देते तो नया उद्योग खड़ा हो जाता
इंदौर, प्रदीप मिश्रा।
शहर की महंगी और प्राइम लोकेशन (Prime Location) पर बना कन्फेक्शनरी क्लस्टर (Confectionery Cluster) 18 माह बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। दिमाग से दिवालिया (Bankruptcy) सरकार ने गोली-बिस्कुट, चॉकलेट के लिए 29 हेक्टेयर जमीन आवंटित कर दी है। यदि यहां पर फूड प्रोसेसिंग यूनिट (Food Processing Unit) के लिए जमीन देते तो नया उद्योग (Industry) खड़ा हो जाता।
यहां पर सारे विकास कार्य हो चुके हैं और औद्योगिक प्लाट (Industrial Plot) बिक चुके हैं, मगर अभी तक जमीन लेने वालों में से एक भी उद्योगपति ( Industrialist) या व्यापारी ने काम का श्रीगणेश (Beginning) नहीं किया है। उद्योगपतियों का कहना है कि यहां गोली-बिस्कुट (Goli-Biscuit,), चॉकलेट (Chocolate), टॉफी (Toffee) के अलावा फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की इजाजत दी जाए तो तीन महीने में काम शुरू हो जाएंगे। पिछले 6 महीनों में सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योग मंत्रालय व जिला उद्योग व्यापार केंद्र दोनों आधा दर्जन नए क्लस्टर बनाने की लगातार घोषणाएं करते जा रहे हैं, जबकि आईआईएम कॉलेज (IIM College) के सामने बना देश का पहला कन्फेक्शनरी क्लस्टर (Confectionery Cluster) डेढ़ साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया है ।
आईआईएम के सामने
यह कन्फेक्शनरी क्लस्टर ((Confectionery Cluster)) एमपीआईडीसी, यानी मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम बनाम एकेवीएन द्वारा बनाया गया है। गोली-बिस्कुट, चॉकलेट, टॉफी जैसे सूक्ष्म, मध्यम लघु उद्योगों के लिए 29 हेक्टेयर जमीन पर 54 भूखंड तैयार किए गए हैं। यह क्लस्टर देश के छठे अंतरराष्ट्रीय इंडिया इंस्टिट्यूट मैनेजमेंट कॉलेज के सामने बनाया गया है।
इन्वेस्टमेंट क्लस्टर बन गया
क्लस्टर संबंधित सभी विकास कार्य कर यह सारे भूखंड 51 यूनिट वालों को आवंटित किए जा चुके हैं, मगर इसके बावजूद यहां अभी तक कोई औद्योगिक हलचल या व्यापारिक कामकाज शुरू नहीं हो पा रहा है। ऐसा लगने लगा है कि कन्फेक्शनरी क्लस्टर ((Confectionery Cluster)) मनी इन्वेस्टमेंट क्लस्टर बनकर रह गया है कि जमीन खरीद लो, फिर उसके भाव बढऩे का इंतजार करो। बाद में जब अच्छा मुनाफा मिले तो किसी अन्य को बेचकर निकल लो।
नई नीति बनाए सरकार
यहां जमीन लेने वालों में मालवा कन्फेक्शनरी, राजशाही फूड, बिग बी एग्रो, फूड फाइव, प्रियंका फूड, तुलसी नमकीन सहित अन्य 45 व्यापारी शामिल हैं। इनमें से कुछ यूनिट वालों ने 1 से ज्यादा भूखंड लिए हैं। कुल मिलाकर कोई भी नया क्लस्टर ((Confectionery) बनाने के पहले सरकार को ऐसे नियम और नीति बनानी चाहिए कि जिस योजना के तहत क्लस्टर बनाया गया है वहां जमीन लेते व विकास कार्य होते ही 3 महीने में काम शुरू हो सके, जिससे सरकार को टैक्स व बेरोजगारों को जल्दी रोजगार मिल सके।
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