जयपुर । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत (Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot) के अध्यक्ष पद का चुनाव (presidential election) लड़ने से ठीक पहले गहलोत के गुट ने बवाल खड़ा कर दिया है, कुलमिलाकर कांग्रेस एक बार फिर दो फाड़ होती दिख रही, क्योंकि गत दिवस हुई बैठक में साफ हो गया कि सीएम (CM) को लेकर विधायक क्या चाहते हैं।
बता दें कि राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर विधायकों से रायशुमारी के लिए बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक से पहले ही दवाब की राजनीति शुरू हो गई है। एक तरफ गहलोत समर्थकों ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर बैठक का अपना रूख साफ कर दिया, जबकि दूसरी तरफ पायलट के आवास पर भी बैठक में आगामी रणनीति पर चर्चा हुई। यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर 60 से अधिक विधायक जुटे। उन्होंने सहमति बनाते हुए साफ कर दिया है कि बगावत कर मानेसर जाने वाले विधायकों को छोड़कर किसी को भी मुख्यमंत्री बना दें। गहलोत विधायकों ने इस रुख से साफ कर दिया है कि उन्हें सचिन पायलट की ताजपोशी कतई मंजूर नहीं है।
आपको बता दें कि राजस्थान कांग्रेस एक बार फिर दो फाड़ होती दिख रही है। अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से ठीक पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गुट ने बवाल खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री के समर्थक 80 से अधिक विधायकों ने अपना इस्तीफा स्पीकर सीपी जोशी को सौंप दिया है। इन विधायकों का कहना है कि नए मुख्यमंत्री को लेकर फैसला गहलोत की मर्जी के मुताबिक होना चाहिए। उन्हें आशंका है कि हाईकमान ने सचिन पायलट को कुर्सी सौंपने का फैसला कर लिया है। गहलोत गुट ने पायलट को सत्ता से दूर रखने समेत 3 शर्तें पार्टी नेतृत्व के सामने रखी हैं, हालांकि, हाईकमान भी झुकने को तैयार नहीं है। राजस्थान में नाटकीय घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वफादार माने जाने वाले विधायकों ने अपने इस्तीफे रविवार रात विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी को सौंप दिए।
जानिए क्या हैं शर्ते
गहलोत कैंप ने आलाकमान के सामने तीन शर्तें रखी हैं। उनमें पहली शर्त यह है कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री ना बनाया जाए। उन्होंने 2020 में सरकार से बगावत की थी। मुख्यमंत्री उन 102 विधायकों में से किसी को बनाया जाए जो संकट के समय सरकार के साथ थे। दूसरी शर्त यह है कि नए मुख्यमंत्री का फैसला गहलोत के अध्यक्ष बन जाने के बाद यानी 19 अक्टूबर के बाद ही हो। इसके बाद ही वह इस्तीफा देंगे। तीसरी शर्त है कि अशोक गहलोत को भी मुख्यमंत्री बने रहने का विकल्प दिया जाए। गहलोत गुट की शर्तों से आलाकमान की ओर से जयपुर भेजे गए अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे भी हैरान हैं।
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