जबलपुर। यूक्रेन और रूस के बीच चल रही जंग में बम भले यूक्रेन ओर रूस की सरहदों के अंदर गिर रहे हैं, लेकिन उनका असर जबलपुर के उन छात्र-छात्राओं के भविष्य पर पड़ रहा है, जो यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। ऐसे विद्यार्थी और उनके माता-पिता बच्चों भविष्य को लेकर तनावग्रस्त हैं। शहर के कई विद्यार्थी अभी भी यह जिद लिये बैठे है कि वे अपनी डिग्री लेकर ही वापिस घर लौटेगें। वही युद्व की विभिषिका की खबर सुनकर इनके माता पिता भी चिंतित हो रहे है। दूसरी तरफ सरकारों की ओर से कोई बड़ी राहत अब तक देखने को नहीं मिली है।फरवरी माह के चौथे हफ्ते में रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू हुई। इसके बाद वहां पढऩे वाले छात्र-छात्राएं किसी तरह से देश वापस ले आए गए, वही कुछ छात्र वापिस नहीं लौटे। इन सभी को और इनके अभिभावकों को अंदाजा रहा कि जल्द सरकारें कोई ऐसा निर्णय लेंगी जिससे स्टूडेंट्स का भविष्य सुरक्षित हो सकेगा। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
परिजनों पर आया आर्थिक बोझ
तक सरकार की ओर से केवल इतनी राहत दी गई है कि यूक्रेन से वापस आए छात्र-छात्राएं अपनी आगे की पढ़ाई किसी अन्य देश से भारत को छोड़कर पूरी कर सकते हैं। ऐसे स्टूडेंट्स की डिग्री को भारत में मान्यता रहेगी। आधारताल निवासी जयंत देशमुख का कहना है कि, पढऩे के लिए दूसरे देश जाने वालों को नए सिरे वीजा और पासपोर्ट बनवाना पड़ रहा है। उनके एडमीशन कंसल्टेंसी के माध्यम से हो रहे हैं, इसलिए कंसल्टेंसी उनसे मोटा कमीशन उगाह रही हैं। जबकि वो पहले यूक्रेन में प्रवेश के समय भी उनसे लाखों रुपये उगाह चुकी हैं। इतने के बावजूद दूसरा देश उनको आधे कोर्स के लिए वीजा देने में भी आनाकानी कर रहे हैं। बैंकों के रुख से भी समस्या अभिभावकों का यह भी कहना है कि उनके ऊपर नए सिरे से आर्थिक बोझ आ पड़ा है।
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