इंदौर। कल लगातार दूसरे चरण में प्रदेश में मतदान के गिरते प्रतिशत ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। इसको लेकर अब मालवा-निमाड़ की स्थिति का अंदाजा लगाया जा रहा है, विशेषकर इंदौर जैसी बड़ी लोकसभा में। अगर यही स्थिति रही तो भाजपा को अपना टारगेट पूरा करना मुश्किल हो जाएगा। वैसे संगठन के बड़े नेता अब अधिक से अधिक मतदान की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर विजय हासिल की थी। इस बार केंद्रीय संगठन ने हारे हुए मतदान केंद्रों को जीतने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जवाबदारी सौंपी है। इसके साथ ही प्रत्येक बूथ पर 370 वोट बढ़ाने को लेकर भी पार्टी ने अपने मोर्चा-प्रकोष्ठ को काम सौंप रखा है। कुल मिलाकर भाजपा इस बार 400 पार के नारे के साथ हर लोकसभा सीट पर वोटों के अंतर का रिकार्ड बनाना चाहती है, लेकिन जिस तरह से वोटिंग का आंकड़ा घटता जा रहा है, उसने अब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी है। अगर ऐसा ही रहा तो भाजपा अपने लक्ष्य से पीछे रह जाएगी।
प्रदेश संगठन ने भी क्लस्टर प्रभारी और लोकसभा के संयोजकों पर सख्ती की तैयारी की है, ताकि मतदान का आंकड़ा बढ़ाया जा सके। अभी यह हो रहा है कि भाजपा का कार्यकर्ता केंद्र में अपनी सरकार तय मानकर चल रहा है और इसी कारण कहीं उत्साह नजर नहीं आ रहा है। इंदौर सहित मालवा-निमाड़ की सीटों पर भी यही हालात नजर आ रहे हैं, जहां तीसरे और चौथे चरण में मतदान होना है। तीसरे चरण में मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल, राजगढ़ और बैतूल सहित 9 सीटें हैं, जहां 6 मई को वोट डाले जाएंगे। चौथे, यानी प्रदेश में अंतिम चरण में इंदौर, देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, खंडवा और खरगोन जैसी सीटें शामिल हैं।
यानी अभी 17 सीटों पर 13 मई को चुनाव होना शेष है। दोनों ही तारीखों में प्रदेश में लू चलने की संभावना बनेगी और भीषण गर्मी के चलते मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाना दोनों ही पार्टियों के लिए मुश्किल हो सकता है। पिछली बार इंदौर में 69 प्रतिशत के आसपास मतदान हुआ था, लेकिन अगर यही हालात रहे तो मतदान का आंकड़ा गिर सकता है। वैसे पिछले लोकसभा चुनाव में इंदौर में 19 मई को मतदान हुआ था, लेकिन तब कार्यकर्ताओं का जोश चुनावी मैदान में दिखाई रहा था, लेकिन इस बार चुनाव नीरस बना हुआ है और यही नीरसता भाजपा के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है।
संगठन लगा स्थिति का आकलन करने में
भाजपा ने चुनाव प्रबंधन के लिए बड़ी संख्या में वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की टोली बना रखी है, लेकिन वह टोली भी योजना बनाने तक सीमित है। इसका असर नीचे देखने को नहीं मिल रहा है। हालात यह हैं कि जिस क्षेत्र में जनसंपर्क होता है वहां के कार्यकर्ता ही उस दिन सक्रिय होते हैं। भाजपा आम लोगों को अपने चुनावी कार्यक्रम से जोड़ भी नहीं पा रही है। इसके ऊपर संगठन भी स्थिति का आकलन करने में लगा हुआ है और भोपाल से हर लोकसभा की मॉनीटरिंग की जा रही है, जिसके आधार पर मतदान की रणनीति पर चर्चा की जा रही है।
अभी तक प्रदेश में मतदान की स्थिति
प्रदेश में पहला चरण 19 अप्रैल को संपन्न हुआ था, जिसमें 6 सीटों पर मतदान हुआ। इन सीटों में छिंदवाड़ा सबसे महत्वपूर्ण रही, जहां 79.18 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके साथ ही जबलपुर में 60.52 प्रतिशत, बालाघाट में 72.68 प्रतिशत, मंडला में 72.92 प्रतिशत, सीधी में 56.18 प्रतिशत और शहडोल में 64.11 प्रतिशत मतदान हुआ। सभी जगह मतदान के आंकड़े 2019 में हुए चुनाव से कम थे। वहीं दूसरे चरण में कल प्रदेश की 4 सीटों पर मतदान हुआ। इनमें सबसे ज्यादा मतदान टीकमगढ़ में बताया जा रहा है। यहां 59.23 प्रतिशत मतदान हुआ है। दमोह में 56.23 प्रतिशत, रीवा में 50 प्रतिशत से भी कम तथा खजुराहो में 56.01 प्रतिशत मतदान हुआ। दूसरे चरण के मतदान के अंाकड़े को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि मतदाताओं में जोश नजर नहीं आ रहा है।
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