नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू को केंद्र सरकार ने देश का नया नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक नियुक्त किया है। मुर्मू राजस्थान कैडर के 1978 बैच के आईएएस अधिकारी राजीव महर्षि की जगह लेंगे जिनका कार्यकाल शुक्रवार (7 अगस्त) को पूरा हो रहा है। मुर्मू ने एक दिन पहले ही बुधवार को जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल के पद से इस्तीफा दिया था।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रपति को श्री गिरीश चन्द्र मुर्मू को भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक नियुक्त करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है, उनकी नियुक्ति पदभार संभालने के तिथि से प्रभावी होगी। इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के पद से मुर्मू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया था। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश से भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोज सिन्हा को मुर्मू की जगह केन्द्र शासित प्रदेश का नया उपराज्यपाल बनाया गया है।
मुर्मू 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी 60 वर्षीय मुर्मू को अक्टूबर, 2019 में उपराज्यपाल नियुक्त किया गया था। जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल नियुक्त किए जाने से पहले मुर्मू वित्त मंत्रालय में व्यय सचिव थे। वह गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री काल में उनके प्रधान सचिव भी रह चुके हैं।
केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद उनकी प्रतिनियुक्ति केंद्र में की गई। उन्हें वस्तु एवं सेवाकर को लागू कराने के लिए केंद्र में लाया गया था। उन्हें साल 2015 के अप्रैल में वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग में संयुक्त सचिव बनाया गया। बाद में वो उसी विभाग में एडिशनल सेक्रेटरी बनाए गए। जून 2016 से दिसंबर 2017 तक मुर्मू ने वित्तीय सेवा विभाग में उन्हें एडिशनल सेक्रेटरी बनाया गया। इस दौरान उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए इंद्रधनुष योजना पर काम किया। मई 2018 में वो राजस्व विभाग स्पेशल सेक्रेटरी बनाए गए। बाद में मार्च 2019 में उन्हें व्यय विभाग का सचिव बनाया गया।
सीएजी बनने के बाद अब मुर्मू के तहत चार ऐसे डिप्टी सीएजी काम करेंगे, जो उनसे बैच में सीनियर अफसर होंगे। इनके अलावा तीन उनके बैच के अफसर उन्हें सहयोग करेंगे। सीएजी के नीचे इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट सेवा के सात डिप्टी सीएजी काम करते हैं। सीएजी आमतौर पर सालाना 150 रिपोर्ट तैयार करता है। इसमें केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की ऑडिट होती है।
मुर्मू ने अचानक 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था। गौरतलब है कि 5 अगस्त को पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त किए जाने का एक साल पूरा हुआ था। कैग की नियुक्ति छह साल के लिए या फिर 65 वर्ष की आयु पूरी होने तक, इसमें से जो भी पहले हो, तक होती है।
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