इंदौर: अयोध्या में श्रीराम मंदिर (Ram Mandir) में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के दिन सरकार द्वारा ड्राय डे (dry day) घोषित करना शराब ठेकेदारों (liquor contractors) को नागवार गुजरा. उन्होंने मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) हाईकोर्ट (High Court) में याचिका दायर (petition filed) करके सरकार से अपने नुकसान के एवज में मुआवजा (compensation) की मांग की. हालांकि, सरकार की दलील के बाद मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस आहलूवालिया की एकलपीठ ने यह कहते हुए शराब ठेकेदारों की अपील खारिज कर दी कि यह निर्णय जनहित में लिया गया था.
दरअसल, जबलपुर के माँ नर्मदा एसोसिएट के राजीव जायसवाल और रीवा के स्मोकिंग लिकर ट्रेडर्स के विनीत कुमार तिवारी ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि श्री राम मंदिर अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश में 22 जनवरी को ड्राय डे घोषित किया था. सरकार के निर्णय के आधार पर जिला दंडाधिकारी जबलपुर ने भी ड्राय डे घोषित कर दिया था. इसके चलते 22 जनवरी को शराब की खरीदी, बिक्री व परिवहन पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा था.शराब ठेकेदारों को इससे बहुत नुकसान हुआ.
याचिका में दलील दी गई कि जनरल लायसेंस शर्त के क्लॉज-8 के तहत कलेक्टर को यह अधिकार है कि वह आबकारी आयुक्त की स्वीकृति से ठेकेदारों को हुए नुकसान की भरपाई के रूप में मुआवजा वितरित करे. शासन की ओर से उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने कोर्ट में दलील दी कि कलेक्टर ने अपने आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया है कि 22 जनवरी को अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा के चलते शहर में विभिन्न धार्मिक आयोजन, प्रभातफेरी, जुलूस व अन्य कार्यक्रम निर्धारित हैं. इसलिए जनहित में ड्राय डे घोषित किया गया था.
जिला दंडाधिकारी ने आबकारी अधिनियम के प्रावधानों में प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग करते हुए उक्त प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया था,इसलिए लायसेंसी इसके बदले मुआवजे की माँग नहीं कर सकते. जस्टिस जीएस आहलूवालिया की एकलपीठ ने सरकार की दलील स्वीकार करते हुए अपने आदेश में कहा कि जिला दंडाधिकारी ने जनहित में राज्य शासन के निर्देश पर 22 जनवरी को ड्राय डे घोषित किया था. इस आधार पर उन्होंने शराब ठेकेदारों की अपील खारिज कर दी.
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