3 महीने में 21000 मीटर बदले, डेढ़ सप्ताह में 8000 और बदलेंगे
इंदौर। प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर में मनमाने बिजली बिलों की शिकायत हमेशा उपभोक्ताओं को रही है। बिजली कंपनी लगातार दावा करती है कि वह रीडिंग के बिल जारी कर रही है, लेकिन उपभोक्ताओं की संख्या और कंपनी का अमला दोनों में तालमेल से नहीं बैठता। कर्मचारियों की संख्या कम है। अब बिजली कंपनी दावा कर रही है कि वह औसत रीडिंग के बिल अगले महीने से जारी नहीं करेगी।
इंदौर शहर में तकरीबन साढ़े पांच लाख घरेलू बिजली उपभोक्ता हैं। इनमें से 12 से 18 फीसदी ऐसे उपभोक्ता रहते हैं, जिन्हें औसत बिजली बिल दिए जाते हैं। दरअसल कंपनी के पास मीटर रीडर, ऑनलाइन स्टाफ की बेहद कमी है। आउटसोर्स कर्मचारियों से काम हो रहा है और वह गैर-जिम्मेदार साबित हो रहे हैं। इससे कंपनी की छवि खराब हो रही है। अब इतनी बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं को एवरेज या मनमाने बिजली बिल कंपनी की ओर से गफलत में ही जारी हो जाते हैं। वर्षों से शिकायतें होती हैं। उपभोक्ता झोन से मुख्यालय तक चक्कर काटता रहता है। शिकायतें खूब होती हैं, लेकिन बिजली कंपनी का जोड़-गणित उपभोक्ताओं के समझ से बाहर रहता है।
ऊर्जा विभाग और मंत्रालय दोनों की ओर से इसके लिए समय-समय पर निर्देश लगातार जारी होते हैं। इंदौर बिजली कंपनी ने फरवरी से एवरेज बिजली बिल पर लगाम लगाने के पूरे प्रयास कर लिए हैं। कंपनी का दावा है कि 92 फीसदी से ज्यादा एक्युअल बिल फरवरी में जारी होंगे। शेष स्थानों पर भी फरवरी खत्म होते-होते बिलिंग सर्कल में इसको शामिल कर लिया जाएगा। यानी अब उपभोक्ताओं को औसत बिल जारी नहीं होंगे। दिल्ली बिजली कंपनी ने पिछले 3 महीनों में 21000 से ज्यादा बिजली के मीटर बदले हैं और तकरीबन 8000 मीटर डेढ़ सप्ताह में बदलने का दावा किया जा रहा है, ताकि उपभोक्ताओं को वर्षों से चली आ रही शिकायत से निजात मिले।
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