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    अनाथ विद्यार्थियों को बिना शुल्क बनाया जाएगा Company Secretary

  • June 13, 2021

    • मप्र में रहने वाले विद्यार्थियों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाएगी

    भोपाल। भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (Indian Institute of Company Secretaries) की इंदौर शाखा देश में पहली ऐसी शाखा होगी जो तीन से साढ़े तीन साल में पूर्ण होने वाली कंपनी सचिव (Company Secretary) की पढ़ाई का पैसा उन विद्यार्थियों से नहीं लेगा जिन्होंने कोरोना (Corona) महामारी में अपने माता-पिता को खोया है। इन्हें संस्थान कोर्स पूरा होने तक निशुल्क कोचिंग (Free Coaching) देगा। ई और सामान्य लाइब्रेरी का उपयोग करने की अनुमति देगा और पढ़ाई सामग्री भी उपलब्ध कराएगा। यहां तक की कंपनी सचिव (Company Secretary) करने के लिए लगने वाली पंजीयन (Registration) राशि भी नहीं लेगा। संस्थान आगे बढ़कर ऐसे विद्यार्थियों की खुद तलाश कर रहा है।
    इंदौर ही नहीं मप्र के किसी भी शहर और गांव के विद्यार्थी इसके लिए संस्थान से संपर्क स्थापित कर सकते हैं। आइसीएसआइ इंदौर शाखा के अध्यक्ष कंपनी सचिव विपुल गोयल का कहना है कि जिस भी विद्यार्थी ने माता-पिता में से किसी एक को भी खोया है तो हम उन्हें कंपनी सचिव बनाने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे। पंजीयन शुल्क भरने के लिए इंदौर के कंपनी सचिवों से बात की जा रही है। कई कंपनी सचिव विद्यार्थियों का पंजीयन शुल्क भरने के लिए तैयार है। आइसीएसआई की देशभर में शाखांए है। इसमें से यह कोशिश सबसे पहले इंदौर शाखा करने जा रही है।

    दो लाख खर्च होते हैं
    संस्थान के अधिकारियों का कहना है कि कंपनी सचिव की सभी परीक्षाएं अगर एक बार में पास कर ली जाए तो तीन से साढ़े तीन साल में कोर्स को पूर्ण किया जा सकता है लेकिन कई विद्यार्थियों को इसमें चार से पांच साल का समय भी लग जाता है। कई विद्यार्थी निजी कोचिंग संस्थानों से शिक्षा लेते हैं। इसके लिए पूरे कोर्स के करीब डेढ़ लाख रुपए शुल्क भरते हैं। इसके अलावा करीब 50 से 60 हजार रुपए संस्थान में पंजीयन के लिए देने होते हैं। अन्य कोर्सेस के मुकाबले कंपनी सचिव की पढ़ाई बहुत कम शुल्क में की जा सकती है लेकिन निजी संस्थानों का सहारा लेने पर खर्च बढ़ जाता है। ऐसे में महामारी में आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को आइसीएसआई की कोशिश का लाभ मिलेगा। कंपनी सचिव आशीष करोडिया का कहना है कि विद्यार्थियों को पढ़ाने के साथ ही उन्हें करियर मार्गदर्शन भी देंगे। महामारी के बाद हमने सामान्य विद्यार्थियों के लिए भी आनलाइन कक्षाओं से पढ़ाई करने का शुल्क नाममात्र कर कर दिया है। इसका लाभ इंदौर शाखा से जुड़े करीब पांच हजार विद्यार्थियों को मिलेगा।

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