मुंबई: कमोडिटी मार्केट (Commodity market) इस समय ऊफान पर है. रूस की तरफ से यूक्रेन पर हमले (Russia-Ukraine crisis) के कारण इस मार्केट में तेजी का सिलसिला जारी है. कमोडिटी महंगा होने के कारण सरकार के साथ-साथ इंडस्ट्री की भी हालत पतली हो गई है. कच्चा तेल (Crude oil price)इस समय 11 सालों के उच्चतम स्तर पर है. सप्ताह के आखिरी दिन कच्चा तेल करीब 7 फीसदी की तेजी के साथ 118 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बंद हुआ. एल्युमीनियम और कॉपर भी इस समय रिकॉर्ड ऊंचाई पर है. जिंक 15 सालों के उच्चतम स्तर पर है. खाने का पाम ऑयल महंगा है, जबकि कॉफी का भाव 11 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. गेहूं भी महंगा हो गया है.
ईटी नाऊ स्वदेश की रिपोर्ट के मुताबिक, कच्चा तेल महंगा होने से पेंट उद्योग, सीमेंट, FMCG और एविएशन सेक्टर पर काफी बुरा असर हुआ है. पेंट इंडस्ट्री के लिए कच्चे माल पर होने वाले खर्च में क्रूड का हिस्सा 60 फीसदी है. पेंट इंडस्ट्री में क्रूड ऑयल डेरिवेटिव्स जैसे मोनोमर्स और टाइटेनियम डाय-ऑक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है.
सीमेंट इंडस्ट्री में कच्चे माल का कॉस्ट 17 फीसदी तक
सीमेंट इंडस्ट्री में ढुलाई समेत अन्य खर्च में कच्चे तेल का योगदान 30 फीसदी है. इसके अलावा कोयला महंगा होने के कारण भी इस इंडस्ट्री पर असर हुआ है. क्रिसिल रिसर्च का मानना है कि इस साल पावर और फ्यूल कॉस्ट में 35-40 फीसदी तक की बढ़ोतरी संभव है. सीमेंट के लिए कच्चा माल महंगा हो रहा है. टोटल कॉस्ट में कच्चे माल का योगदान 15-17 फीसदी तक होता है.
एग्री कमोडिटी महंगा हो गया है
यूक्रेन क्राइसिस के कारण एग्री कमोडिटी महंगा हो गया है जिसके कारण FMCG कंपनियां इस साल रेट बढ़ाने के लिए मजबूर हैं. हिंदुस्तान यूनिलीवर ने फरवरी में दो बार रेट बढ़ाए थे. माना जा रहा है कि मार्च के महीने में कई FMCG कंपनियां रेट बढ़ा सकती हैं.
एविएशन सेक्टर का 35 फीसदी खर्च फ्यूल पर
महंगे तेल से एविएशन सेक्टर पर सबसे बुरा असर हुआ है. इस सेक्टर का 35 फीसदी खर्च केवल फ्यूल पर होता है. कोरोना महामारी के बाद यह सेक्टर अपने पैर पर दोबारा खड़े होने की कोशिश ही कर रहा है. ऐसे में महंगे तेल ने इस सेक्टर की कमर तोड़कर रख दी है. अलग-अलग कमोडिटी की कीमत में उछाल के कारण सीमेंट स्टॉक्स, पेंट स्टॉक्स, गैस कंपनीज, रबर और टायर कंपनी, एविएशन स्टॉक पर भारी दबाव है.
जानिए किस का विदेशी मुद्रा भंडार कितना है?
कच्चे माल का भाव बढ़ने और तेल महंगा होने से देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी असर होता है. दुनिया की बड़ी इकोनॉमी के विदेशी मुद्रा भंडार की बात करें तो चीन का फॉरन रिजर्व 3.22 ट्रिलियन डॉलर, जापान का 1.38 ट्रिलियन डॉलर, स्विटजरलैंड का 1.03 ट्रिलियन डॉलर, रूस का 630 बिलियन डॉलर और इस सप्ताह भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 632 बिलियन डॉलर पर बंद हुआ है.
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