भोपाल। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण को बहाल कराने की कवायद के बीच शिवराज सरकार ने पंचायत चुनाव से जुड़े एक और नियम में संशोधन कर दिया है। अब चुनाव तभी कराए जा सकेंगे, जब मतदाता सूची नए सिरे से तैयार होगी। राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा है कि अब जो पंचायत चुनाव होंगे, वह १ जनवरी २०२२ की स्थिति में वोटर लिस्ट के आधार होंगे। इसका अंतिम प्रकाशन ४ जनवरी को होगा। इसके बाद पंचायत वार वोटर लिस्ट तैयार होगी। इससे १ जनवरी २०२२ को १८ साल के हो चुके युवाओं को वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने का एक और मौका मिलेगा। जो चुनाव होने वाले थे, वह १ जनवरी २०२१ की वोटर लिस्ट के आधार पर हो रहे थे।
नए परिसीमन के हिसाब से नहीं थी वोटर लिस्ट
पंचायत राज संशोधन अध्यादेश वापस होने के बाद वोटर लिस्ट २०१९ के परिसीमन के अनुसार नहीं रह गई थी। आरक्षण का भी वो आधार नहीं रह गया, जो पहले था। अध्यादेश जारी होने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने वोटर लिस्ट का संक्षिप्त पुनरीक्षण कराया था। पंचायत राज संशोधन अध्यादेश को वापस लेने के बाद वर्ष २०१९ में कमलनाथ सरकार द्वारा कराया गया पंचायतों का परिसीमन लागू हो गया है। न तो वोटर लिस्ट इसके अनुरूप है और न ही आरक्षण। एक जनवरी से नई वोटर लिस्ट भी प्रभावशील हो जाएगी। आयोग एक जनवरी २०२१ की वोटर लिस्ट के आधार पर चुनाव करा रहा था। इसके अनुसार कुल तीन करोड़ ९२ लाख ५१ हजार ८११ वोटर थे।
११ लाख नए मतदाता जुड़े
उधर, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने एक जनवरी २०२२ की स्थिति में मतदाता सूची तैयार करा ली है। इसका अंतिम प्रकाशन पांच जनवरी को किया जाएगा। इसमें लगभग ११ लाख नए मतदाता शामिल हुए हैं और छह लाख मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं। प्रदेश में एक जनवरी २०२२ की स्थिति में कुल मतदाता पांच करोड़ ४१ लाख से ज्यादा हो जाएंगे।
दो माह का समय लगेगा
इससे पहले पंचायत की वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन ३ मार्च को किया था। २०१४ के आरक्षण के आधार पर वार्डवार लिस्ट का विभाजन हुआ। चूंकि अब चुनाव प्रक्रिया रुक गई और सरकार नया नियम ले आई है, इसलिए वोटर लिस्ट नए सिरे से तैयार होगी। आयोग के मुताबिक इसमें दो माह का समय लगेगा। इसकी वजह है कि आवेदन लेकर उनका निराकरण करके लिस्ट तैयार की जाती है।
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