उज्जैन। प्रदेश में सरकार कमर्शियल वाहनों (ट्रक व बस) को बड़ी राहत देने जा रही है। सरकार कमर्शियल वाहनों के लाइफ टाइम रजिस्ट्रेशन शुल्क में कमी करेगी। जानकारी के अनुसार अभी कमर्शियल वाहनों को जो लाइफ टाइम रजिस्ट्रेशन शुल्क 8 प्रतिशत है उसे कम करके 5 प्रतिशत करने की तैयारी की जा रही है। इससे प्रदेश के लाखों वाहन मालिकों को बड़ी राहत मिलेगी। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, उप्र जैसे राज्यों में मप्र से कम रजिस्ट्रेशन शुल्क है। मप्र में अभी कमर्शियल वाहनों पर लाइफ टाइम टैक्स करीब 8 फीसदी है। इसे घटाकर 5 फीसदी करने की तैयारी है। टैक्स कम करने की मुख्य वजह 2019 के बाद से रेवन्यू में लगातार गिरावट को माना जा रहा है। वर्ष 2019 से लेकर अब तक में कामर्शियल वाहनों से मिलने वाले लाइफ टाइम टैक्स में करीब 40 फीसदी की गिरावट आई है। यह साल दर साल करीब 450 करोड़ रुपए से भी ज्यादा आ रहा है। रेवन्यू में आने वाली इस गिरावट को देखते हुए परिवहन विभाग ने इसमें तत्काल प्रभाव से टैक्स कम करने का निर्णय लिया है। टैक्स कम करने से ही सरकार को करीब 500 करोड़ रुपए का लाभ होना तय माना जा रहा है।
सरकार की बढ़ेगी आय
मप्र में सबसे ज्यादा टैक्स होने की वजह से वाहन मालिक उप्र के साथ ही छत्तीसगढ़ व अन्य राज्यों से रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं। इससे एक बड़े वाहन से औसत करीब एक से डेढ़ लाख रुपए की बचत हो जाती है। टैक्स बचाने के लिए लोग मप्र में रजिस्ट्रेशन नहीं करा रहे हैं। इसका खामियाजा परिवहन विभाग को उठाना पड़ रहा है। परिवहन विभाग को हर साल अनुमानित करीब 450 करोड़ रुपए से अधिक की क्षति हो रही है। लाइफ टाइम टैक्स कम करने से करोड़ों रुपए की आय होगी। इस प्रस्ताव को जल्द कैबिनेट में पास कराकर लागू कर दिया जाएगा। प्रदेश में अभी कमर्शियल वाहनों खासकर ट्रकों आदि से रजिस्ट्रेशन के समय लाइफ टाइम टैक्स लिया जाता है। यह वाहन के कुल कीमत का करीब 8 फीसदी होता था। जबकि कई राज्यों यहां तक कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में यह टैक्स करीब 6 फीसदी है। गुजरात में 4।7 फीसदी, नगालैंड व आसपास के सभी सातों पूर्वी भारत के राज्यों में यह टैक्स दो से ढाई फीसदी या इससे भी कम है।
वाहनों का रजिस्ट्रेशन दूसरे राज्य मेेंं चल रहे मध्यप्रदेश में
मप्र में कमर्शियल वाहनों पर लाइफ टाइम टैक्स करने की कवायद की मुख्य वजह यह है कि वाहनों का रजिस्टे्रशन दूसरे राज्य में हो रहा है और वे मप्र में चल रहे हैं। अभी हाल में ही मप्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने जय अंबे इमरजेंसी सर्विस प्रालि के साथ प्रदेश भर में एंबुलेंस सेवा संचालित करने के लिए करार किया। कंपनी ने एक साथ करीब 658 एंबुलेंस वाहनों को प्रदेश के अस्पतालों में भेजा, किंतु रजिस्ट्रेशन मप्र में नहीं कराया। चूंकि मप्र में लाइफटाइम टैक्स काफी ज्यादा है। कंपनी ने छग में रजिस्ट्रेशन कराया, इससे मप्र को खासा नुकसान हुआ। करोड़ों रुपए का टैक्स छत्तीसगढ़ के पास चला गया।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved