नई दिल्ली (New Delhi) । जेल (Jail) में बंद कैदी (prisoner) जमानत पर बाहर आने के लिए कैसे-कैसे हथकंड़े अपनाते हैं इसकी एक बानगी पटियाला हाउस अदालत (Patiala House Court) में देखने को मिली। पिछले तीन साल से हत्या के आरोप (murder charges) में जेल में बंद एक कैदी ने पत्नी के ऑपरेशन के नाम पर अदालत से जमानत मांगी। पत्नी के चिकित्सा दस्तावेजों की जांच की तो सामने आया कि दस्तावेजों में मस्तिष्क की बीमारी दिखाई गई है, जबकि ऑपरेशन रीढ़ की हड्डी का होने का उल्लेख किया गया है। अदालत ने कैदी के खिलाफ तिलक मार्ग थाना पुलिस को तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन कुमार की अदालत ने तिलक मार्ग थाना पुलिस को जहां एक तरफ इस मामले में आरोपी धर्मवीर के साथ अन्य लोगों की भूमिका की जांच कर तत्काल केस दर्ज करने को कहा है। वहीं, इस बाबत सत्र अदालत द्वारा दिए गए आदेश की प्रति को तिलक मार्ग थाने से संबंधित मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के पास भेजने को भी कहा है, ताकि मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट इस मामले में हत्या आरोपी के खिलाफ दर्ज होने वाले मामले में शिकायतकर्ता की भूमिका निभा सके।
डॉक्टर ने इन बिन्दुओं पर सवाल उठाए
1. महिला को जो बीमारी दिखाई गई उसमें तत्काल सर्जरी न की जाए तो पांच माह तक मरीज के बचने की संभावना न के बराबर होती है, जबकि यह पर्चा 30 जनवरी, 2023 को बना है।
2. इन दस्तावेजों में महिला को मस्तिष्क की गंभीर बीमारी बताई गई है, जबकि 24 जून को ऑपरेशन की तारीख रीढ़ की हड्डी की दी है।
3. अस्पताल के रिकॉर्ड में इस महिला का कोई सीटी स्कैन नहीं है, जबकि मस्तिष्क की बीमारी का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन की रिपोर्ट अनिवार्य होती है।
4. पर्चे पर अग्रेंजी के बहुत सारे शब्द गलत लिखे हैं, जैसे की ब्लीड को बिल्ड लिखा है जो एक डॉक्टर कभी नहीं करता।
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