– लोगों की सुविधाओं के लिए रेरा की सख्ती, सुविधाएं मुहैया कराने पर ही होंगे नामांतरण
इंदौर। अब प्रदेश में कृषि भूमि में प्लॉट बेचकर कॉलोनी नहीं बसाई जा सकेगी। कॉलोनी बसाने के लिए रेरा की शर्तो के मुताबिक ही काम करना होगा। कॉलोनी बनाते समय कुल भूमि के 60 फीसदी हिस्से में प्लॉट और 40 फीसदी हिस्से में रेरा द्वारा निर्धारित सुविधाएं देने पर ही कॉलोनी में खरीदी गई भू-संपत्ति का नामांतरण होगा। प्रशासन ने कॉलोनी में सुविधाएं न देने वाले कॉलोनाइजर पर भी कार्रवाई करने जा रहा है। इसके लिए प्रशासन शहर में बसाई जा रही कॉलोनियों का सर्वे कराने जा रहा है। इसके साथ ही बिना रेरा में पंजीकृत कॉलोनियों के प्लॉट के नामांतरण पर अस्थाई रोक लगाई गई है।
गौरतलब है कि पिछले सालों में राजधानी सहित प्रदेशभर में कॉलोनाइजर द्वारा कृषि भूमि पर आवासीय प्लॉट काटकर बेचे गए हैं। शासन द्वारा नियम के मुताबिक केवल 60 फीसदी भूमि पर ही प्लॉटिंग करना है, लेकिन अवैध कॉलोनियों में पूरी जमीन पर ही प्लॉटिंग कर दी जाती है। इन प्लॉटों को खरीदने वाले लोग अगल-अलग आवेदन लगाकर जमीन का डायवर्शन और नामांतरण कराते हैं। तहसील में इन प्लॉटों का डायवर्शन और नामांतरण होने पर कॉलोनाइजर कॉलोनी में सुविधाएं नहीं देते हैं। यहां तक कि नाली, बिजली और पानी की सुविधा भी इन कॉलोनियों में नहीं दी जाती है। एक अवैध कॉलोनी में दर्जनों लोग अपनी जीवन भर की कमाई लगाकर प्लॉट लेते हैं। लेकिन उन्हें सुविधाएं नहीं मिल पाती है। डायवर्शन और नामांतरण होने के बाद प्रशासन भी कॉलोनाइजर पर कार्रवाई नहीं कर पाता है।
ये है रेरा पंजीयन
घर खरीददारों के हितों की रक्षा के लिए भारत की संसद ने मार्च 2016 में भू संपदा विनियामक प्राधिकरण को लागू किया था। यह रियल स्टेट अधिनियम 2016 एक मई 2016 से पूरे देश में लागू है। अब किसी भी कॉलोनी के विकास के पूर्व बिल्डर अथवा कॉलोनाइजर को रेरा पंजीयन लेना होता है। रेरा का उद्देश्य खरीददारों के हितों की रक्षा करना है। रेरा पंजीकृत बिल्डर से खरीदे गए प्लॉट अथवा मकान पर निर्धारित हितों की बाध्यता तय होती है जिसको लेकर सरकार बिल्डर को आदेशित कर सकती है।
ये सुविधाएं है जरूरी
रेरा लागू होने के बाद जिले में जो भी कॉलोनी या प्रोजेक्ट है उनमें बिक्री करने से पहले की सीसी रोड, बिजली, पानी, नाली, पार्क आदि का निर्माण कराना आवश्यक हैं जिसके बाद ही वहां पर प्लॉट या मकान बनाकर बेचने की इजाजत होती है। यह सुविधाएं बिना दिए ही अगर कोई कॉलोनाइजर, बिल्डर या व्यापारी प्लॉट-मकान की बिक्री करता है तो उसपर कार्रवाई करने का प्रावधान है।
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