प्रशासन ने विकास अनुमति के जितने पैसे मांगे उतने भरे, लेकिन एक करोड़ का चूना लगाने में जाना पड़ सकता है जेल
नियमानुसार पैसा जमा करना भी जिम्मेदारी
इंदौर। प्रशासन ने कालोनी विकास अनुमति के जितने पैसे मांगे उतने कालोनाइजर ने जमा किए, लेकिन अधिकारियों से सेटिंग कर कम पैसे जमा करने और करीब एक करोड़ का चूना लगाने के इल्जाम में फंसे बिल्डर विद्युत जैन की अग्रिम जमानत रद्द कर दी।
सूत्रों के अनुसार मालवा काउंटी के कालोनाइजर विद्युत (मित्तल) पिता ज्ञानचंद जैन निवासी टेलीफोन नगर द्वारा मालवा काउंटी नामक टाउनशिप 110 एकड़ की भूमि पर काटी गई थी। कॉलोनाइजर की कंपनी ने विकास कार्य हेतु 95 लाख के बजाय महज 18 लाख रुपए का भुगतान कर शासन को 77 लाख 30 हजार की आर्थिक क्षति पहुंचाई। मामले में सैफुद्दीन चकेरा नामक व्यक्ति ने ईओडब्ल्यू में शिकायत की कि वर्ष 2006 में तत्कालीन एसडीएम कौशल बंसल ने कॉलोनी विकसित करने की अनुमति देने में स्टाम्प चोरी की गई और नियमानुसार कमजोर वर्ग के लिए 15 प्रतिशत आरक्षण भी नहीं किया गया। राजस्व निरीक्षक दिनेशचंद्र शर्मा द्वारा भी निरीक्षण की झूठी रिपोर्ट पेश की गई और लोकसेवकों के साथ मिलकर शासन को स्टाम्प आदि के रूप में भी 66 लाख 79 हजार 239 रुपए की आर्थिक हानि पहुंचाई और विभिन्न तरीकों से सरकार को 98 लाख 72 हजार रुपए की आर्थिक हानि पहुंचाई गई। इस मामले में आर्थिक घोटाले में जैन को भी आरोपी बनाया गया तो जैन ने विशेष अदालत आर्थिक अपराध में अग्रिम जमानत की अर्जी लगाकर तर्क दिया गया था कि उसे कई बीमारियां हैं और केयरटेकर के भरोसे है, साथ ही याददाश्त भी कमजोर हो रही है।
ईओडब्ल्यू ने कोर्ट को बताया कि मामले में सहआरोपियों के खिलाफ चालान पेश करने के लिए अभियोजन स्वीकृति ली जा रही है। जैन के खिलाफ चालान पेश होना बाकी है। वह प्रकरण को प्रभावित कर सकता है। उसने सरकार को करीब एक करोड़ रुपए की चपत लगाकर आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। संबंधित पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश संजयकुमार गुप्ता की कोर्ट ने पाया कि लोकसेवकों के खिलाफ पूरक चालान के लिए केस चलाने की मंजूरी लिए जाने के तथ्य सामने आए हैं। ऐसे में जैन की जमानत की अर्जी खारिज कर दी।
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