इंदौर। पुलिस (police), प्रशासन (Administration), निगम, सहकारिता (Cooperatives) विभाग सहित अन्य संबंधित विभाग (Land mafia) से पीडि़त जनता को राहत दिलवाने में जुटे हैं। 20 से 30 साल कई भूखंड पीडि़तों को लड़ते हुए हो गए, मगर उन्हें अपने भूखंड हासिल नहीं हुए, जिसके चलते अभी (collector) मनीष सिंह (manish singh) ने 18 भूमाफियाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई, जिसमें कुख्यात जमीनों का लूटेगा दीपक मद्दा भी शामिल है, जिस पर रासुका भी लगाई गई है और उसकी अवैध कालोनी हीना पैलेस की बाउण्ड्रीवॉल तोडऩे, सड़कों को उखाडऩे के साथ अन्य निर्माण जमींदोज किए गए। वहीं कलेक्टर ने अन्य गृह निर्माण संस्थाओं के कर्ताधर्ताओं के साथ निजी बिल्डरों को भी चेतावनी दी है कि भूखंड, फ्लेट, रो-हाउस खरीदने वाले लोगों को परेशान ना करें और जो वायदे किए हैं उन्हें पूरा करें अन्यथा उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करवाने के साथ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के निर्देश पर सभी तरह के माफियाओं की कमर तोडऩे का अभियान इंदौर सहित प्रदेशभर में चलाया जा रहा है। हालांकि राशन, मिलावट, ड्रग्स से लेकर असामाजिक तत्वों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। इनके निर्माणों को भी जमींदोज किया गया। वहीं कलेक्टर कार्यालय से लेकर निगम, प्राधिकरण और नगर तथा ग्राम निवेश में सक्रिय दलालों को भी खदेड़ा, ताकि राजस्व से संबंधित कामकाज बिना लेन-देन के हो सकें। इतना ही नहीं, सहकारिता विभाग, जो कि गृह निर्माण संस्थाओं क घोटालों और भूमाफियाओं की मदद करने के लिए कुख्यात रहा है उसके भी दो रिसीवरों को जिला निर्वाचन कार्यालय में अटैच कर दिया और इसके पहले उपायुक्त का तबादला भी हो गया था। कल सहकारिता निरीक्षक जगदीश जलोदिया और आशीष सेठिया को जिला निर्वाचन कार्यालय में अटैच किया, जिन्होंने श्रीराम से लेकर नवभारत संस्थाओं में रिसीवर बनने के बावजूद कोई काम नहीं किया और पीडि़तों को राहत नहीं मिल सकी। अभी कलेक्टर मनीष सिंह ने अयोध्यापुरी और पुष्प विहार के पीडि़तों को कब्जा दिलाने के लिए वरीयता सूची बनवाने का काम शुरू करवाया। वहीं अन्य संस्थाओं की भी लगातार शिकायतें मिल रही है। हर मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में आधी से ज्यादा शिकायतें जमीनों पर अवैध कब्जे, रजिस्ट्री ना करवाने, विकास कार्य ना होने से लेकर गृह निर्माण संस्थाओं के पीडि़तों की रहती है, जिसके चलते कलेक्टर मनीष सिंह ने अन्य संस्थाओं के साथ-साथ निजी टाउनशिप, बहुमंजिला इमारतें बनाने वालों को भी कहा है कि वे अपने-अपने भूखंड, फ्लैट या मकानों के खरीददारों से की गई शर्तों को पूरा करें अन्यथा उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई शुरू होगी। उल्लेखनीय है कि पिनेकल ड्रीम से लेकर तमाम निजी टाउनशिप, जो बायपास, खंडवा रोड, सुपर कॉरिडोर से लेकर अन्य जगह विकसित की गई है, उनके भी पीडि़तों की संख्या हजारों में है। यही हाल बहुमंजिला इमारतें बनाने वाले बिल्डरों का भी है। कई जगह प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हैं और लोगों को पैसा देने के बाद भी कब्जा नहीं मिला है। यहां तक कि कलेक्टर ने अपने ही अधीनस्थ अपर कलेक्टर अजयदेव शर्मा को भी नहीं बख्शा और चिटफंड कम्पनियों के खिलाफ समय सीमा में कार्रवाई नहीं करने और प्रतिवेदन प्रस्तुत ना करने पर नोटिस जारी किया। समय सीमा की बैठक में कलेक्टर ने समीक्षा के दौरान पाया कि एडीएम द्वारा लापरवाही बरती गई है। लिहाजा उन्होंने अपने स्टेनो को बुलाकर एसडीएम के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए और सभी अधिकारियों को दो टूक कहा कि आम जनता क काम सर्वोपरि हैं, जिसमें किसी भी तरह की हिला-हवाली-लापरवाही पाई गई तो चाहे को भी हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा। इसी तरह कलेक्टर ने डीआईसी की भी महिला अधिकारी के वेतन रोकने के निर्देश दिए। अभी देवी अहिल्या और मजदूर पंचायत के अलावा हीना पैलेस के महाघोटाले उजागर करने के साथ ही अन्य गृह निर्माण संस्थाओं के मामले में भी कलेक्टर ने जांच शुरू करवाई है और इस संबंध में विस्तृत आदेश भी जारी होंगे, जिसमें उन संस्थाओं को लिया जाएगा, जिनके खिलाफ लगातार शिकायतें पीडि़तों द्वारा की जाती रही है। इस संबंध में कलेक्टर द्वारा अलग-अलग टीमों का गठन भी किया जाएगा। इसमें सहकारिता, निगम, नगर तथा ग्राम निवेश से लेकर पुलिस-प्रशासन के अधिकारी भी रहेंगे। एक-एक संस्था की जिम्मेदारी एसडीएम को दी जाएगी, ताकि वह पीडि़तों की शिकायतों के आधार पर मौके पर कब्जा दिलवाने, वरीयता सूची बनवाने से लेकर अन्य समस्याओं का निराकरण करवाएं। वहीं दूसरी तरफ देवी अहिल्या के पीडि़तों ने अयोध्यापुरी के निरीक्षण के दौरान शिकायत की थी कि सिम्प्लेक्स प्रा.लि. की ओर से दिनेश चितलांग्या अनावश्यक दबाव बनाते हैं, जिसके चलते कल उपायुक्त सहकारिता, मदन गजभिये ने एक आदेश निकालकर दिनेश चितलांग्या को उपायुक्त सहकारिता इंदौर के कार्यालय में प्रवेश के लिए ही प्रतिबंधित कर दिया। दरअसल चितलांग्या सिम्प्लेक्स के अनाधिकृत प्रतिनिधि के रूप में सहकारिता सहित अन्य विभागों में जाकर दबाव-प्रभाव बनाता रहा है।
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