भोपाल। किसानों को समय पर यूरिया खाद उपलब्ध कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ था। प्रत्येक किसान को आसानी से खाद मिले ऐसी व्यवस्था बनाने के लिए सहकारी समिति के कर्मचारी जुट रहे। खाद बांटने के बाद मप्र सरकार ने उन किसानों के नाम मांगे हैं, जिन्होंने सबसे अधिक यूरिया खाद खरीदा है, अब रिकॉर्ड जुटाने में कृषि विभाग के अधिकारियों की सांसें फूल रही है। मप्र सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में खरीफ के मौसम में सबसे अधिक यूरिया खाद खरीदने वाले प्रत्येक जिले से 20-20 किसानों के नाम कलेक्टरों से मांगे हैं। सहकारी समितियों के साथ ही निजी दुकानों से भी बेचा जाता है। कई स्थानों से यूरिया का बड़ी मात्रा में स्टॉक भी जब्त किया गया, इससे जमाखोरी भी उजागर हुई हैं। सबसे अधिक खरीदने वाले किसानों की पूरी जानकारी जुटाने में कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को पसीना छूट रहा है। क्योंकि उनके पास कोई रिकॉर्ड ही नहीं है। किस किसान ने कितना खाद खरीदा इसका लेखाजोख समिति के अधिकारियों और कर्मचारियों ने तैयार नहीं किया। खाद मिलते ही उसे मनमाने तरीके से बांटा गया। सहकारी समितियों और निजी दुकान संचालकों ने वितरण के दौरान खाद लेने वाले किसान का अंगूठा लगाकर स्टॉक को घटाया नहीं है। किस ने कितना और कितनी बार खाद खरीदा इसकी जानकारी नहीं होने का फायदा जमाखोरी और कालाबाजारी करने वालों को मिला है। हालांकि प्रशासनिक अधिकारी इस बात से साफ इनकार कर रहे हैं, कि अभी तक उनकी जांच में किसी तरह का घोटाला सामने नहीं आया है, लेकिन इसके कोई पुख्ता प्रमाण भी नहीं है।
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