– किसी ने मां खोई… तो किसी ने पिता…
– शासन की योजना से जो मदद न पा सके उनके लिए इंदौरी दानदाताओं ने हाथ खोले…
इंदौर, प्रदीप मिश्रा।
कोरोना (Corona) के कहर के कारण पूरी तरह अनाथ हुए बच्चोंं (orphan children) की सहायता (help) के लिए तो शासन ने योजना बनाई, मगर माता या पिता में से किसी को खोकर सिंगल पैरेंट्स ऒsingle parents) वाले बच्चों को कोई मदद नहीं मिल पा रही थी। ऐसे बच्चों के लिए इंदौर कलेक्टर (collector) ने शहर के दानदाताओं (donors) से सहयोग की अपील की थी। इसका असर यह हुआ कि इन बच्चों की सहायता (help) के लिए अभी तक सैकड़ों दानदाता आगे आकर अब तक 1 करोड़ की मदद कर चुके हैं और यह सिलसिला अभी जारी है। इनमें से कुछ बच्चों के साथ होम लोन, व्हीकल लोन नहीं भर पाने जैसी समस्याएं भी थीं। कलेक्टर ने दानदाताओं के जरिए इन समस्याओं से भी इन्हें निजात दिलवा दी। इस तरह की अकल्पनीय मदद मिलने से भावुक बच्चों व उनकी माताओं (mothers) ने कहा कि ऐसे कलेक्टर तो हमने अभी तक सिर्फ फिल्मों में ही देखे हैं।
53 अनाथों की शासन ने तो 412 सिंगल पैरेंट बच्चों की दानदाताओं ने मदद की
कोरोना की दो लहरों के दौरान इंदौर जिले में 53 बच्चों ने जहां अपने माता -पिता दोनों को खो दिया तो वहीं 412 ऐसे बच्चे भी हैं, जो अपने मां- बाप में से किसी एक को खो चुके हैं। पूरी तरह से अनाथ हो चुके 53 बच्चों के लिए तो मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल कल्याण योजना (Chief Minister Kovid-19 Child Welfare Scheme) के जरिए शासन-प्रशासन हर महीने 5000 रुपए सहित राशन, स्कूल फीस की व्यवस्था करता आ रहा है । इसके अलावा 402 बच्चे अपने माता- पिता में से किसी एक को खो चुके हैं, यानी जिनके सिंगल पैरेंट्स हैं , ऐसे 412 बच्चों के लिए शासन की योजना सम्बन्धित नियमों के कारण किसी भी तरह की कोई भी मदद नहीं मिल पा रही थी। इस वजह से ऐसे बच्चों के लिए दो वक्त की रोटी से लेकर स्कूली पढ़ाई का संकट खड़ा हो चुका था। ऐसे हालात में बच्चों से करीबी परिजनों सहित रिश्तेदारों ने भी दूरियां बना ली थीं। इन्हें व इनके परिवारों को हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था। सबको यही चिंता खाए जा रही थी कि परिवार का पालन-पोषण करने वाले मुखिया के बिना वे कैसे पढ़ पाएंगे? आखिर उनका व उनकी मां व भाई-बहनों का क्या होगा?
दो दानदाताओं ने ही दिए 72 लाख… विदेशों से भी आई मदद
कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) की अपील पर केवल दो दानदाता ही 72 लाख रुपए की बड़ी मदद देने के लिए राजी हो गए, वहीं विदेशों से भी मदद पहुंचना शुरू हो गई। यह दानदाता एक साल तक हर माह इन सभी बच्चों को 2000 रुपए की आर्थिक मदद करेंगे। इनमें से कई इंदौरी दानदाताओं ने तो इन बच्चों की पूरी पढ़ाई तक का खर्चा उठाने की भी पहल कर डाली।
शासन से भी मदद के लिए प्रस्ताव भेजा
कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने जहां दानदाताओं के माध्यम से माता या पिता खोने वाले बच्चों की मदद की पहल की, वहीं शासन से भी इस तरह अनाथ हुए बच्चों को शासकीय सहायता उपलब्ध कराने का प्रस्ताव भेजा है। वैसे कलेक्टर की पहल के चलते इस तरह की मदद के लिए माध्यम बने रेडक्रॉस में लोगों ने भारी तादाद में पैसा जमा कराया है, जिससे तत्काल रूप से पीडि़त बच्चों को मदद जहां पहुंचाई जा रही है, वहीं भविष्य के लिए शासन की पहल का इंतजार है।
बैंक में बंधक मकान व वाहन भी मुक्त कराए
महिला बाल विकास के जिला कार्यक्रम अधिकारी (District Program Officer of Women and Child Development ) ने बताया कि राऊ निवासी आकाश के मकान पर लगभग 14 लाख रुपए का लोन बाकी था, मगर जब कोरोना (Corona) के कारण परिवार में कमाने वाला ही नहीं रहा तो बैंक कर्ज न चुकाने के कारण मकान नीलाम होने की नौबत आ गई। वहीं हर्षिता की स्कूटी पर भी बैंक का कर्ज था। घर में कमाने वाला कोई नहीं बचा। इसकी किस्तें जमा नहीं हो पा रही थीं। कलेक्टर ने इस मामले में भी दानदाताओं के जरिए बैंक में बंधक मकान व वाहन मुक्त करा दिए।
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