इंदौर। कोरोना की दूसरी लहर (second wave) के चलते कई बच्चे अनाथ भी हो गए। यानी उनके माता-पिता कोरोना संक्रमण (corona transition) का शिकार होकर नहीं रहे। लिहाजा ऐसे बच्चों के लालन-पालन सहित पढ़ाई, आर्थिक सहायता (financial support) और उनके सम्पत्ति के अधिकार भी दिलवाए जाएंगे। 235 बच्चों की स्कूल फीस भी अभी तक माफ करवाई जा चुकी है। कलेक्टर (Collector) ने इस मामले में मानवीयता दिखाते हुए अधिकारियों को इन बच्चों का संरक्षक भी बनाया। वहीं जैन समाज भी आगे आया और दानदाताओं ने 11 बच्चियों को ना सिर्फ गोद लिया, बल्कि उनकी पढ़ाई-लिखाई से लेकर शादियों तक की जिम्मेदारी संभालने की इच्छा व्यक्त की।
मुख्यमंत्री (chief minister) कोविड-19 बालसेवा योजना (covid-19के तहत जिले में चिन्हित 36 बच्चों के संरक्षक, पालक व सहपालक अधिकारियों का सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें सांसद शंकर लालवानी व कलेक्टर मनीष सिंह (collector manish singh)ने बच्चों को गिफ्ट हैम्पर (gift hampper) भी बांटे। इस दौरान अपर कलेक्टर पवन जैन (collector Pawan jain) सहित अन्य एसडीएम (SDM) और अधिकारी मौजूद रहे। कलेक्टर श्री सिंह के मुताबिक अभी तक 235 बच्चों की स्कूल फीस (school fees) माफ करवाई गई और अधिकारियों को निर्देश दिए कि बच्चों के दिवंगत माता-पिता की चल-अचल सम्पत्ति, इंश्योरेंस, बैंक अकाउंट (movable and immovable property, insurance, bank account) और अन्य सभी जानकारियों की लिस्टिंग कर ली जाए, ताकि कोई भी बच्चा अपने हक से वंचित ना रहे। सभी चयनित बच्चों को योजना के तहत सहायता और नि:शुल्क राशन वितरण भी किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को भी निर्देश दिए कि पूरी संवेदनशीलता के साथ जिम्मेदारियों को निभाएं। वहीं एसडीएम अक्षयसिंह मरकाम को एक बार फिर कलेक्टर की फटकार खाना पड़ी, क्योंििक उन्होंने इन बच्चों के संरक्षण की जिम्मेदारी भी सही तरीके से नहीं निभाई। वहीं जैन समाज के एक दानदाता ने 11 बच्चियों को गोद लेकर पढ़ाई-लिखाई से लेकर शादी तक की जिम्मेदारी लेने तक की इच्छा व्यक्त की। सांसद श्री लालवानी ने कहा कि ऐसे अनाथ हुए बच्चों के लिए कई दानदाता और समाज आगे आ रहे हैं। मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई इस योजना का लाभ हर प्रभावित बच्चों तक पहुंचाया जाएगा और हम सभी भावनात्मक रूप से इस योजना का प्रभारी क्रियान्वयन भी करें। क्योंकि यह सरकारी कार्य नहीं, बल्कि मानवता से जुड़ा काम है और इन बच्चों के भविष्य निर्माण में किसी तरह की कोई बाधा उत्पन्न होनी नहीं चाहिए।