नई दिल्ली । लद्दाख सीमा पर भारतीय सेना अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी है और आखिरकार सर्दी ने दस्तक दे दी है। डेप्सांग और दौलत बेग ओल्डी क्षेत्रों में पहले से ही न्यूनतम तापमान माइनस 14 डिग्री के आसपास है और अब फिंगर एरिया में शून्य से 4 डिग्री नीचे तापमान पहुंचने पर पैन्गोंग झील के किनारे जमने लगे हैं। इसी के साथ ही झील के उत्तरी किनारे पर कब्जा जमाये चीनी सैनिकों की हालत अभी से खराब होने लगी है। अपने पेशेवर अंदाज और मानवीय संवेदना के लिए पहचानी जाने वाली भारतीय सेना ही बेहोश हो रहे चीनी सैनिकों को स्ट्रेचर के जरिए अस्पताल पहुंचा रही है। अभी तो यहां ठंड की शुरुआत है, अक्टूबर तक सारी पहाड़ियां बर्फ से जम जाएंगीं।
अग्रिम चौकियों पर तैनात भारतीय और चीनी सैनिक एक-दूसरे की सेना पर लगातार नजर रखकर ठंड का असर देख रहे हैं। लद्दाख के सब-सेक्टर नॉर्थ के डेप्सांग और दौलत बेग ओल्डी क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान पहले से ही माइनस 14 डिग्री के आसपास पहुंच गया है। आने वाले दिनों में तेजी से तापमान में गिरावट आएगी। इसी तरह पैन्गोंग झील के किनारे जमने लगे हैं, क्योंकि यहां का तापमान गिरकर शून्य से 4 डिग्री नीचे चला गया है। उत्तरी किनारे के फिंगर एरिया के उच्च ऊंचाई वाले स्थानों पर चार माह से जमे बैठे चीनी सैनिक अभी तक हटने को तैयार नहीं थे लेकिन तापमान गिरते ही उनकी हालत खराब होने लगी है। मौसम में तेजी से बदलाव आने की वजह से चीनी सैनिक ऑक्सीजन की कमी से बेहोश होने लगे हैं। पिछले चार दिनों में भारतीय सैनिक ही स्ट्रेचर के जरिए पीएलए सैनिकों को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचा रहे हैं। इस दौरान तेज हवा और अत्यधिक ठंड की स्थिति और खराब होती जा रही है। फिंगर-4 एरिया में जहां भारतीय और चीनी सैनिक हैं वहां अक्टूबर के मध्य तक झील की सतह पूरी तरह से जम जाएगी।
फिंगर एरिया में ठंड का शिकार हुए चीनी सैनिकों की जगह नए सैनिकों को लाया जा रहा है लेकिन उनकी भी हालत एक ही दिन में ख़राब हो रही है। चीनी सेना की यह हालत भारतीय पोजिशन से महज एक किलोमीटर से कम की दूरी पर हो रही है। फिंगर-4 क्षेत्र से निकाले गए चीनी सैनिकों को अंतरिम उपचार के लिए फिंगर-6 के पास एक फील्ड अस्पताल में ले जाया जा रहा है। दोनों देशों के सैनिकों की संख्या बढ़ने से डेप्सांग क्षेत्र में भारतीय सेना के फील्ड अस्पताल खुल गए हैं। भारतीय सैनिकों को भीषण ठंड की खतरनाक स्थितियों से बचाने के लिए उच्च स्तरीय इलाज की व्यवस्था की गई है। हालांकि भारतीय सैनिकों को सियाचिन में करीब 22 हजार फीट और माउंट एवरेस्ट पर 29 हजार फीट की ऊंचाई पर तैनाती का अनुभव है, इसलिए पैंगोंग की 16 हजार फीट की ऊंचाई उनके लिए कोई मायने नहीं रखती है। इसीलिए भारतीय सेना के सैनिक उच्च ऊंचाई की लड़ाइयों में सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। एजेंसी/हिस
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