धार: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के धार (Dhar) जिले में ऐतिहासिक भोजशाला परिसर (banquet hall complex) में सर्वे का आदेश हाईकोर्ट (High Court) ने दिया है. सोमवार को सर्वे का 60वां दिन था. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की टीम के 20 अधिकारी इस काम में जुटे हैं. वैज्ञानिक पद्धति से सर्वे का काम जारी है. सोमवार को भी टीम 40 मजदूरों के साथ भोजशाला पहुंची. सर्वे का काम सुबह से लेकर शाम तक चला. अवशेषों की ब्रशिंग, क्लीनिंग और नंबरिंग की जा रही है. इससे पहले टीम को खुदाई के दौरान बारीक नक्काशी वाले पत्थर, एक सफेद पत्थर जिसपर कमल के फूल की आकृति दिखाई दे रही है आदि चीजें मिली हैं.
भोजशाला में सर्वे के काम को 60 दिन पूरे हो चुके हैं. खुदाई के दौरान अब तक कई ऐसी चीजें मिली हैं, जिन्हें नोट किया गया है. भोजशाला के भीतरी परिसर में अब तक 17 से 18 फीट मिट्टी हटाई जा चुकी है. इससे ज्यादा खुदाई संभव नजर नहीं आ रही है क्योंकि बड़े आकार के पत्थर रुकावट बन रहे हैं. इस दौरान तीन दीवारनुमा आकृति मिली हैं. खुदाई में अब तक 1500 छोटे-बड़े अवशेष मिले हैं, बारीक नक्काशी वाले पत्थर, हिंदू देवी-देवताओं के चिह्न, दो पिलर बेस, तीन फीट लंबी तलवार और कुछ सिक्के भी मिले हैं.
गौरतलब है कि इसी साल 11 मार्च को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ASI को भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के निर्देश दिए थे. यह सर्वे 27 जून तक चलेगा. दरअसल ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ ने करीब 1000 साल पुराने भोजशाला परिसर की वैज्ञानिक जांच, सर्वेक्षण, खुदाई अथवा ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार सर्वेक्षण की मांग की थी. हिंदू संगठनों ने न्यायालय में कहा था कि भोजशाला में सरस्वती माता का मंदिर है. अपने इस दावे को मजबूत करने के लिए हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट के सामने भोजशाला की रंगीन तस्वीरें भी पेश की थीं. भोजशाला केंद्र सरकार के अधीन ASI का संरक्षित स्मारक है. एएसआई के 7 अप्रैल 2003 के आदेश के अनुसार चली आ रही व्यवस्था के तहत हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार को भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है. मुस्लिम समुदाय भोजशाला परिसर को कमाल मौला की मस्जिद बताता आ रहा है.
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