बलूचिस्तान। पाकिस्तान के कोयला खदानों में काम कर रहे गरीब मजदूरों को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। द बलूच सर्कल की रिपोर्ट के अनुसार, बलूचिस्तान की कोयला खदानों में काम कर रहे गरीब मजदूर सुविधाओं के अभाव के कारण हर दिन अपनी जान गंवा रहे हैं।
सुविधाओं के अभाव में 288 मजदूरों ने गंवाई जान
रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2022 में पाकिस्तान में हुई दुर्घटनाओं में 288 लोगों की जान चली गई, जिनमें से 166 लोग बलूचिस्तान के थे। इस साल के पहले पांच महीनों के दौरान बलूचिस्तान की कोयला खदानों में 18 दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 24 मजदूरों की मौत हो गई थी।
मानवाधिकार आयोग ने व्यक्त की थी चिंता
2023 की शुरुआत में पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने साल 2022 में बलूचिस्तान की खदानों में हुई दुर्घटनाओं के संदर्भ में अपनी ‘फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट’ में चिंता व्यक्त की थी उन्होंने मांग की थी कि केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संघीय सरकार मजदूरों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून लागू करे।
बलूचिस्तान में मौजूद हैं 3800 से अधिक कोयला खदानें
ऑल पाकिस्तान लेबर फेडरेशन की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे बलूचिस्तान में इस समय 3800 से अधिक कोयला खदानें सक्रिय हैं, जिनमें 100,000 से अधिक कर्मचारी हर साल दस मिलियन टन से अधिक कोयला निकालते हैं। सालाना आधार पर पाकिस्तान में खनन किए जाने वाले कुल कोयले का 50 प्रतिशत से अधिक अकेले बलूचिस्तान से खनन किया जाता है।
द बलूच सर्कल के अनुसार, यह गंभीर चिंता का विषय है कि हर साल इन खदानों में पर्याप्त सुविधाओं की कमी के कारण सैकड़ों श्रमिक अपनी जान गंवा देते हैं और उनके पूरे परिवार को भी परेशानी उठानी पड़ती है, लेकिन वे कहते हैं कि गरीबों के जीवन का किसी के लिए कोई महत्व नहीं है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।
कोयला खदान में फंसे दो मजदूर
बता दें कि बलूचिस्तान के उत्तर-पूर्व में स्थित डुक्की जिले के मिराज इलाके में दो मजदूर शराफ खान और अब्दुल बाकी पिछले डेढ़ महीने से करीब 900 फीट गहरी खदान में फंसे हुए हैं और अभी तक बाहर नहीं आ पाए हैं। उनके भाई अब्दुल बसीर का कहना है कि 4 मई को फंसे उनके भाई और चचेरे भाई के दुख-दर्द को दुनिया और मीडिया ने भी भुला दिया है। वे जमीन के भीतर फंसे हुए हैं, लेकिन पृथ्वी पर रहने वाले हम लोगों को भी शांति नहीं है।
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