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    सीओ जियाउल हक हत्याकांड: 11 साल बाद सीबीआई कोर्ट ने 10 लोगों को ठहराया दोषी

  • October 05, 2024

    नई दिल्‍ली। वर्ष 2013 में की गई सीओ जिआउल हक हत्याकांड (CO Ziaul Haq murder case) में लखनऊ की सीबीआई कोर्ट (CBI Court) ने आरोपित 10 लोगों को दोषी करार दिया है। घटना के 11 साल तक चली सुनवाई बाद कोर्ट ने फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पाल को दोषी पाया। इस मामले में एक अन्य आरोपित सुधीर को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया है। अदालत में मौजूद सभी आरोपितों को दोषी कराए दिए जाने के बाद कोर्ट ने न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया। सजा के प्रश्न पर सुनवाई के लिए 9 अक्तूबर को तलब किया है। इस केस में कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनके करीबी रहे गुलशन यादव भी आरोपित थे, लेकिन दोनों को सीबीआई जांच में पहले ही क्लीन चिट मिल गई थी।



    सीबीआई के विशेष अधिवक्ता केपी सिंह के मुताबिक 2 मार्च 2013 की शाम करीब 7:30 बजे जमीन के विवाद के चलते प्रतापगढ़ में कुंडा स्थित बलीपुर गांव के प्रधान नन्हे यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद बड़ी संख्या में ग्राम प्रधान नन्हे यादव के समर्थक हथियारों से लैस होकर बलीपुर गांव पहुंच गए। भीड़ ने बलीपुर निवासी कामता पाल के घर को आग के हवाले कर दिया। घटना की जानकारी मिलने पर तत्कालीन सीओ कुंडा जियाउल हक, हाथीगवां थाना प्रभारी मनोज कुमार शुक्ला एवं कुंडा थाना प्रभारी सर्वेश मिश्र समेत पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। जहां भीड़ ने पुलिस को घेर लिया। मौके की स्थिति और तनाव को देखते हुए सीओ के साथी पुलिसकर्मी मौका पाकर भाग निकले। सीओ जियाउल हक अकेले ही भीड़ को समझा रहे थे। कहासुनी और झड़प के बीच किसी ने प्रधान नन्हे यादव के छोटे भाई सुरेश यादव की भी गोली मार कर हत्या कर दी। इसी बीच हल्ला मच गया कि पुलिस ने सुरेश यादव को गोली मार दी है। इसके बाद भीड़ ने सीओ जियाउल हक की निर्मम पिटाई के बाद गोली मारकर हत्या कर दी।

    घटना में चार मुकदमे दर्ज किए गए
    अदालत को बताया गया कि मौके से भागे पुलिस कर्मियों ने रात 11 बजे सीओ की तलाश शुरू की। भारी फोर्स के बाद जब पुलिस गांव पहुंची तो सीओ की लाश प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे पर पड़ी मिली। इस तिहरे हत्याकांड को लेकर कुल 4 रिपोर्टें संबंधित लोगों द्वारा दर्ज कराई गई थीं। पहली रिपोर्ट तत्कालीन थाना प्रभारी मनोज शुक्ला ने प्रधान नन्हे यादव के भाइयों और बेटे समेत दस लोगों के खिलाफ दर्ज कराई। प्रधान और सुरेश की हत्या को लेकर भी रिपोर्ट दर्ज की गई। सीओ जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद ने भी पति की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस की जांच के दौरान ही शासन ने विवेचना सीबीआई को सौंप दी थी।

    राजा भैया को मिल चुकी है क्लीन चिट
    यूपी पुलिस में डीएसपी के पद पर तैनात जियाउल हक की दो मार्च 2013 को कुंडा में हत्या कर दी गई थी। घटना के समय वह बालीपुर गांव के प्रधान नन्हे यादव की हत्या की सूचना पर उनके घर मिलने गए थे। तभी भीड़ ने सीओ पर हमला बोल दिया था। भीड़ को देखकर बाकी पुलिसकर्मी मौके से फरार हो गए थे, लेकिन जियाउल हक वहीं रह गए थे। भीड़ ने सीओ को पहले बुरी तरह से पीटा था इसके बाद गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी।

    इस केस में सीबीआई ने अप्रैल 2013 में ग्राम प्रधान के बेटे पवन, बबलू, फूलचंद और मंजीत यादव को सीओ जियाउल हक की हत्या केस में गिरफ्तार किया था। राजा भैया का भी नाम उछला था। उनपर आरोप था कि राजाभैया के मैनेजर नन्हे सिंह ने डीएसपी पर गोली चलाई थी। हालांकि राजाभैया की इस हत्याकांड में भूमिका नहीं पाई गई। सीबीआई की जांच में दोबारा राजा भैया को क्लीन चिट मिल गई।

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