इंदौर। शहर में अब किसी भी सीएनजी वाहन (cng vehicle) को पंप से सीएनजी तब तक नहीं दी जाएगी, जब तक कि वाहन मालिक (vehicle owner) सीएनजी टैंक के टेस्टिंग का सर्टिफिकेट नहीं दिखाता है। शहर में सीएनजी सप्लाय करने वाली अवंतिका गैस कंपनी ने कल से ही इस व्यवस्था को शहर के सभी सीएनजी पंप पर लागू किया है। इसके बाद टैंक टेस्टिंग सेंटर्स पर वाहन चालकों की भीड़ भी बढ़ने लगी है।
उल्लेखनीय है कि 14 मई को तीन इमली स्थित पंप पर सीएनजी भरवाते समय एक मारुति वैन में आग लग गई थी। अच्छा यह रहा है कि आग पर कुछ ही देर में काबू पा लिया गया। पंप पर आग नहीं फैली और कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। इसके बाद लंबे समय से सीएनजी टैंक की फर्जी तरीके से जांच कर फर्जी सर्टिफिकेट जारी किए जाने वाले कुछ टेस्टिंग सेंटर्स के खिलाफ शिकायत करने वाले ऑटो रिक्शा चालक महासंघ के राजेश बिड़कर ने एक बार फिर इसकी शिकायत कलेक्टर, कमिश्नर, आरटीओ और गैस कंपनी से की।
इस पर तुरंत सख्ती दिखाते हुए अवंतिका गैस कंपनी ने अपने सभी पंप पर कल से ही बिना टेस्टिंग सर्टिफिकेट देखे बिना सीएनजी ना देने की व्यवस्था लागू कर दी है। इसके कारण कई वाहन चालकों को सीएनजी भी नहीं मिल पाई। शहर में 40 हजार से ज्यादा सीएनजी वाहन संचालित हो रहे हैं।
हर तीन साल में टैंक की जांच करवाना जरूरी
शासन के नियमानुसार सीएनजी वाहनों में सुरक्षा की दृष्टि से हर तीन साल में टैंक की हाईप्रेशर पर जांच करवाना जरूरी है। इससे टैंक में किसी भी तरह की लिकेज आदि का पता चल जाता है। सब ठीक पाए जाने पर सर्टिफिकेट जारी किया जाता है, अन्यथा रिजेक्ट कर दिया जाता है। इसके लिए कुछ कंपनियां इंदौर में सेंटर्स भी संचालित कर रही हैं, जो जांच के बाद सर्टिफिकेट जारी करती है, साथ ही एक मेटल प्लेट भी सीएनजी भरने के स्थान के पास लगाती है, जिसमें टेस्ट की तीन साल की वैधता का समय लिखा जाता है। इसे देखने के बाद ही सीएनजी भरी जाती है। भोपाल में यह सख्ती लंबे समय से लागू है, लेकिन इंदौर में इसे लेकर लापरवाही का माहौल था।
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