भोपाल। गुजरात के बाद अब मप्र में भी गोबर और पराली से सीएनजी और फर्टिजाइजर का उत्पादन शुरू होगा। भारत बायोगैस एनर्जी लिमिटेड ने सालरिया गौ अभ्यारण्य और कामधेनू रायसेन को चुना है। यहां गोबर से सीएनजी बनेगी और पराली से ऑर्गेनिक सॉलिड एवं लिक्विड फर्टिलाइजर्स बनेगा। इस संबंध में भारत बायोगैस लिमिटेड ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में प्रिजेंटेशन दिया है। मुख्यमंत्री ने इस पर प्रारंभिक स्वीकृति देते हुए अधिकारियों को आगे की कार्रवाई के निर्देश दिए है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि गोबर एवं पराली दोनों ही अत्यंत उपयोगी हंै तथा इनके उपयोग से मप्र में बायो सीएनजी तथा ऑर्गेनिक सॉलिड एवं लिक्विड फर्टिलाइजर्स के उत्पादन के लिए योजना बनाई जा रही है। पहले चरण में इसके लिए सालरिया गो-अभयारण्य एवं कामधेनु रायसेन को चुना गया है। यहां भारत बायोगैस एनर्जी लिमिटेड के माध्यम से प्रोजेक्ट बनाए जाकर उस पर कार्य किया जाएगा। हमारे पड़ोसी राज्य गुजरात में इन दोनों पर ही सफलतापूर्वक कार्य किया जा रहा है। भारत बायोगैस के चेयरमैन भरत पटेल ने कहा कि भारत बायोगैस द्वारा इन दोनों स्थानों पर बायो सीएनजी एवं बायो सॉलिड़ तथा लिक्विड फर्टिलाइजर की पूरी योजना बनाई जाएगी। जिसे 3 से 5 वर्ष तक चलाया जाएगा।
3000 किलोग्राम सीएनजी प्रतिदिन
सालरिया गो-अभ्यारण में प्रतिदिन 70 मीट्रिक टन रॉ-मटेरियल, जिसमें गोबर, पराली, घास तथा ग्रामीण कचरा शामिल हैं, से लगभग 3000 किलोग्राम बायो सीएनजी का प्रतिदिन उत्पादन किया जाएगा। इसी के साथ लगभग 25 मीट्रिक टन सॉलिड़ ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर तथा लगभग 7000 लीटर लिक्विड ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर का प्रतिदिन उत्पादन किया जाएगा। इसी के साथ वहां विभिन्न प्रजातियों का पौधारोपण, बांस रोपण, ड्रैगन फ्रूट प्लांटेशन आदि भी किए जाएंगे।
रायसेन में बनेगा मॉडल प्लांट
रायसेन में खेत की पराली एवं गोबर के मिश्रण से बायोगैस एवं फर्टिलाइजर्स बनाने का मॉडल प्लांट लगाए जाने की योजना बनाई जा रही है। इस प्लांट में रॉ-मटेरियल के रूप में प्रतिदिन लगभग 10 मी.टन गोबर एवं पराली के मिश्रण से प्रतिदिन 400 किलोग्राम बायो सीएनजी लगभग 3 मीट्रिक टन सॉलिड ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर तथा लगभग 1000 लीटर प्रतिदिन लिक्विड ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर बनाने की योजना है।
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