इंदौर जिले में 123.50 हेक्टेयर जमीन की है जरूरत, देवास की जमीन भी अटकी
इंदौर। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) के चुनावी क्षेत्र बुधनी (Budhni) से प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर को सीधी रेल लाइन से जोडऩे में सरकार का ही रुख ठंडा है। एक तरफ खुद मुख्यमंत्री बीते महीनों रेल मंत्री से मिलकर उनसे इंदौर क्षेत्र में चल रही रेल परियोजनाओं की गति बढ़ाने की गुहार लगा रहे हैं, वहीं खुद प्रदेश सरकार के विभागीय अफसर रेल लाइनों को कोई ज्यादा उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। ताजा मामला इंदौर-बुधनी रेल लाइन का है, जिसके जमीन अधिग्रहण में लगातार देरी हो रही है।
हालत यह है कि अब तक इंदौर और देवास जिले की निजी जमीनों का मुआवजा ही नहीं बंट पाया है। इस कारण न तो रेलवे को इन जमीनों का पजेशन मिल पा रहा है, न वहां रेल लाइन संबंधी निर्माण गतिविधियां शुरू हो पा रही हैं। यह स्थिति तब है, जब बुधनी खुद सीएम का चुनावी क्षेत्र है और यह परियोजना उन्हीं की व्यक्तिगत रुचि के कारण मंजूर हुई है। इधर, रेल लाइन के लिए जमीन देने वाले किसान और भू-स्वामी परेशान हैं। उक्त रेल लाइन का काम रेल विकास निगम लि. (आरवीएनएल) कर रहा है। इंदौर जिले में सांवेर और कनाडिय़ा तहसील के गांवों की लगभग 123.50 हेक्टेयर जमीन ली जाना है। इसी तरह देवास जिले के बागली, सतवास और कन्नौद तहसीलों की 384 हेक्टेयर जमीन की जरूरत इंदौर-बुधनी रेल लाइन के लिए है। इंदौर के पास यह रेल लाइन मांगलिया स्टेशन के पास जुड़ेगी। इस साल रेलवे ने 198 किलोमीटर लंबी इंदौर-बुधनी रेल लाइन के लिए बजट में 514 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। परियोजना की कुल लागत 7500 करोड़ रुपए आंकी गई है।
देवास जिला प्रशासन को दिए मुआवजा के 140 करोड़ रुपए
आरवीएनएल ने रेल प्रोजेक्ट के लिए देवास जिले की तहसीलों की जमीनें लेने के लिए लगभग 140 करोड़ रुपए का मुआवजा देवास जिला प्रशासन के पास जमा करा दिया है। यह राशि अब तक पारित हुए अवार्ड के हिसाब से दी गई है। अब तक देवास जिले में भी मुआवजा नहीं बांटा गया है। बीते दिनों हुए प्रशासनिक बदलावों के कारण मुआवजा नहीं बंट पा रहा है।
कितनी लंबाई होगी रेल लाइन की
जिला……………………….लंबाई (किमी में)
इंदौर……………………………………….20
देवास…………………………………….112
सीहोर……………………………………..66
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