भोपाल। नगरीय निकायों में अब क्लर्क और स्वच्छता निरीक्षकों को मुख्य नगर पालिका अधिकारी -सीएमओ नहीं बनाया जाएगा। इन पदों पर उसी संवर्ग के अधिकारी पदस्थ होंगे। इसी के चलते सरकार ने क्लर्क और स्वच्छता निरीक्षकों से 50 निकायों का प्रभार वापस ले लिया है। सीएमओ के पद पर उसी संवर्ग के अधिकारियों की नियुक्ति के आदेश दिए हैं। अधिकारियों को एक सप्ताह में चार्ज लेना होगा। जनप्रतिनिधियों की सिफारिश पर क्लर्क एवं स्वच्छता निरीक्षक को प्रभारी सीएमओ बनाया जाता है। कारण ये है कि अधिकतर सीएमओ मनमानी वाले कार्यों का विरोध करते हैं। इसके उलट प्रभारी सीएमओ राजनीतिक दबाव में जनप्रतिनिधियों के मनमुताबिक काम करते हैं। इसे लेकर कई निकायों में सीएमओ संवर्ग के अफसरों को स्थानांतरित कर प्रभार क्लर्क को देने की परंपरा बना ली गई थी।
उपयंत्रियों की अनिवार्य रूप से पदस्थापना
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के आयुक्त निकुंज श्रीवास्तव के अनुसार अब निकायों में अनिवार्य रूप से उपयंत्रियों की भी पदस्थापना की जाएगी। बिना उपयंत्री के कोई भी निर्माण कार्य नहीं किए जाएंगे। इसके चलते प्रदेश में 75 निकायों में उपयंत्रियों को पदस्थ किया गया है। सरकार ने निर्देश दिए हैं कि नए उपयंत्री की पदस्थापना से पहले पुराने को न हटाया जाए। निकायों में सीएमओ संवर्ग के ही अधिकारियों को पदस्थ किए जाने के निर्देश दिए हैं। जिन निकायों में बाबुओं को प्रभारी सीएमओ बनाया गया था, उन्हें भी हटाया जा रहा है।
तीन साल से एक जगह जमे अफसर हटेंगे
प्रदेश के उपचुनाव वाले 28 विधानसभा क्षेत्रों में लगातार तीन साल से जमे अधिकारी-कर्मचरियों को हटाया जाएगा। इन सभी की सूची तैयार की जा रही है। वहीं चुनाव ड्यूटी में तैनात मुलाजिमों को लिखकर देना होगा कि उनका किसी भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार से संबंध नहीं है। यदि किसी अधिकारी के रिश्तेदार या परिजन चुनाव मैदान में उतरते हैं तो उनकी ड्यूटी चुनाव में नहीं लगाई जाएगी। वहीं, अगर कोई भी अधिकारी इस संबंध में सूचना छिपाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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