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CM योगी के इस फैसले से फिर गरमाया ‘नेम प्लेट’ का मुद्दा, सेहत पर सियासत तेज

September 25, 2024

लखनऊ: मिलावट के दौर में शुद्ध खानपान की उपलब्धता चुनौती बनी हुई है. मंदिर का प्रसाद हो या अन्य खाद्य पदार्थ हर जगह खाद्य मानकों से खिलवाड़ हो रहा है. वहीं अब समाजिक और मानसिक विकृति का भी नया स्वरूप देखने को मिल रहा है. इसमें मानव अपशिष्ट (थूक-मूत्र) मिलाने के भी वीडियो आए. ऐसे में योगी सरकार के आदेश के बाद यूपी के लोगों को सेहत से जुड़े इस मसले पर नई उम्मीद जगी है. उधर ढाबों-रेस्तरां पर नेम प्लेट लगाने पर सियासत भी गर्म है, यह हाल तब है जब इसका प्रावधान पहले से है.

दरअसल, मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आमजन की सेहत को ध्यान में रखते हुए बड़ा फैसला लिया है. इसमें प्रदेश के सभी होटलों, ढाबों, रेस्टोरेंट की गहन जांच और हर कर्मचारी का पुलिस वेरिफिकेशन करने का फरमान सुनाया है. साथ ही खाने की चीजों की शुद्धता कायम करने के लिए खाद्य सुरक्षा अधिनियम में जरूरी बदलाव करने को भी कहा. इसके अलावा खान-पान केंद्रों पर संचालक, प्रबंधक का नाम और पता डिस्प्ले करना अनिवार्य बताया. यही नहीं पूरे रेस्टोरेंट में CCTV लगाने होंगे. कर्मचारियों को मास्क-ग्लव्स पहनना भी जरूरी होगा. सीएम योगी के यह आदेश ऐसे हैं, जोकि कड़ाई से लागू हो जाएं, तो काफी हद तक आमजन के खानपान से जुड़ी समस्याओं का समाधान हो जाएगा.


उत्तर प्रदेश में जुलाई में कांवड़ यात्रा के दौरान नेम प्लेट लगाने को लेकर जमकर सियासी बवाल मचा था. दरअसल, यूपी सरकार ने कांवड़ रूट की सभी दुकानों पर नेमप्लेट लगाने का फरमान सुनाया था. उधर उत्तराखंड सरकार ने भी ऐसा आदेश जारी दिया. सरकार के इस फैसले पर विपक्ष व मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई. साथ ही मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और आदेश पर रोक लगा दी गई.

खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 के प्रावधानों को पांच अगस्त 2011 में लागू किया गया, जब केंद्र में कांग्रेस (यूपीए) की सरकार थी. अधिनियम के मुताबिक अगर दुकानदार के पास फूड लाइसेंस नहीं है और वह सामान बेच रहा है तो उस पर दस लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. वहीं बिना पंजीकरण के खान-पान का सामान बेचने वालों के खिलाफ दो लाख जुर्माना लग सकता है. अधिनियम में फूड लाइसेंस और पंजीकरण को दुकान के सामने डिस्प्ले करना भी अनिवार्य किया गया है. डिस्प्ले नहीं मिलने की सूरत में दो बार नोटिस के बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी जुर्माना लगा सकते हैं. इसमें वर्ष में 12 लाख से अधिक टर्नओवर करने वालों को फूड लाइसेंस अनिवार्य है. इससे कम टर्नओवर वालों को यानी रीटेल कारोबारियों को पंजीकरण कराना होता है.

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