लखनऊ। यूपी विधानसभा में मंगलवार को भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच वाक युद्ध जारी रहा। इस दौरान कई बार जमकर ठहाके भी लगे। ऐसा ही एक अवसर तब आया जब सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने अखिलेश यादव द्वारा कल गोबर को लेकर कही गई बात का जवाब दिया। सीएम ने कहा कि हमसे नहीं तो कम से कम चाचा शिवपाल से सीख लिए होते, इस पर सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष के सदस्य भी हंस पड़े। खुद अखिलेश भी मुस्कुराते नज़र आए। दरअसल, कल अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कन्नौज के इत्र उद्योग के विकास की मांग उठाते हुए कहा था कि हमें गोबर प्लांट नहीं चाहिए…वो आप गोरखपुर ले जाइए। हमें तो कन्नौज के इत्र उद्योग का विकास चाहिए। परफ्यूमरी पार्क चाहिए। आज सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनका जवाब दिया। सीएम योगी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने यदि गो-सेवा की होती तो उसी तरह बोले भी होते लेकिन भाषण में भैंस के दूध का ज्यादा असर दिखाई दे रहा था। गाय का कम था।
सीएम ने कहा कि बहुत सारे लोग फैट कंटेंट की दृष्टि से भैंस का दूध पसंद करते हैं। उन्हें तो (सपा सदस्यों की ओर इशारा करते हुए) ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ की तर्ज पर काम करना है। सीएम ने कहा नेता प्रतिपक्ष ने कन्नौज की चिंता जरूर की। आपके इत्र वाले मित्र तो बहुत कुछ गुल खिला रहे थे लेकिन इत्र उद्योग के लिए बीजेपी सरकार ने ईमानदारी से काम किया है। वर्तमान में अकेले कन्नौज से इत्र का 800 करोड़ का व्यापार हो रहा है। ‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना से कन्नौज जुड़ा है। पिछले पांच साल में 55 नई इकाइयां लगी हैं। यद्यपि पहले से भी वहां इकाइयां थीं। 375 इकाइयां वहां काम कर रही हैं। कोरोना काल खंड में भी हम लोगों ने 2.7 मिलियन यूएस डॉलर का इत्र निर्यात किया है।
हमसे न सही चाचा शिवपाल से ही सीख लिया होता…
सीएम योगी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष, एक तरफ किसान की बात कर रहे थे। दूसरी तरफ उन्हें गोबर में बदबू नज़र आ रही थी। कैसी विडम्बना है। हमारे यहां गाय का गोबर तो बड़ा पवित्र माना गया है। हो सकता है कि नेता प्रतिपक्ष पूजा न करते हों, हम लोगों से न सही यदि चाचा शिवपाल से ही सीखा होता तो पता चल जाता कि पूजा कैसे होती है और पूजा में जब…। आप देखते हुोंगे कि पूजा जब होती है तो हर जगह मूर्ति नहीं होती…हां…गाय का गोबर… यही चाचा के सम्पर्क में आने का परिणाम है ये। आप गोवर्धन को कहते हैं कि गोबर हमें नहीं चाहिए। भारत की कृषि प्रधान व्यवस्था बिना गाय और बिना गाय के गोबर के नहीं हो सकती। यह पूजा से लेकर, संस्कार से लेकर भारत की कृषि प्रधान व्यवस्था तक इसका महत्व है। नेचुरल फार्मिंग बगैर गोमाता के संभव नहीं है। लेकिन आपको गाय के गोबर में बदबू आती है। यदि आपने पूजा की होती और गाय के गोबर को लक्ष्मी के रूप में रखा होता पता होता कि भारत की समृद्धि का प्रतीक तो यहीं से प्रारम्भ होता है। आप यह प्रश्न यहां नहीं किए होते। सीएम ने कहा कि कन्नौज प्रदेश का हिस्सा है। हम किसी से भेदभाव नहीं करते।
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