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    CM योगी ने अखिलेश यादव को याद दिलाया 33 साल पुराना घटनाक्रम, सपा नेताओं की हुई बोलती बंद

  • September 21, 2022

    लखनऊ । उत्तर प्रदेश विधानसभा (Uttar Pradesh Assembly) के मानसून सत्र का दूसरा दिन चल रहा था. सदन में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) बोल चुके थे. भाजपा सरकार (BJP government) की नाकामियां गिनाते-गिनाते अखिलेश यादव काफी तमतमा भी गए. जब वे बोलकर सीट पर बैठे तो सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) उनके सवालों और आरोपों का जवाब देने उठे. वे कोरोना और वैक्सीन पर बोल रहे थे. इसी बीच सपा की तरफ से कुछ विधायकों की हल्की आवाजें आईं. उनकी बात सुनकर अचानक से सीएम योगी ने कुछ ऐसा कहा कि सदन में सपा के विधायक और नेता झेंप ही गए. तो आखिर सीएम ने ऐसा क्या कह दिया.

    सीएम योगी आदित्यनाथ ने सदन में अखिलेश यादव को याद दिलाया कि उनके पिता मुलायम सिंह यादव 1989 में पहली बार भाजपा के सहयोग से ही यूपी के सीएम बने थे. उन्होंने ये भी कहा कि सच्चाई स्वीकार करना सीखिए. उनके इस बयान के बाद सदन में सपा की तरफ से होने वाली टीका टिप्पणी थम गई. तो क्या था 1989 का घटनाक्रम जिसे 33 साल के बाद फिर से योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव को याद दिलाई.


    1989 में यूपी में विधानसभा के चुनाव हुए. तब उत्तराखंड के साथ होने के कारण 425 सीटों की विधानसभा थी. इसमें से 208 सीटें जनता दल को मिलीं. 213 सीटों के साथ सरकार बनती लेकिन, मैजिक नंबर से पार्टी पीछे रह गई थी. इसी समय भाजपा ने जनता दल को लिखित और बाहर से समर्थन दिया. मुलायम सिंह इसी समर्थन के कारण पहली बार यूपी के सीएम बने. हालांकि अमेठी की गौरीगंज सीट से सपा के विधायक राकेश प्रताप सिंह याद करते हुए बताते हैं कि जनता दल को लेफ्ट पार्टियों के समर्थन से सरकार बनाने में कोई अड़चन नहीं थी लेकिन फिर भी भाजपा ने समर्थन दिया था. राकेश प्रताप तब कक्षा 10वीं के छात्र थे और उन्हें वो घटनाक्रम याद है.

    योगी आदित्यनाथ भाजपा के इसी उपकार को सदन में याद दिला रहे थे. इस बात की तहकीकात की गई कि आखिर अचानक सीएम योगी ने सदन में ये बात क्यों याद दिलाई. न्यूज़ 18 ने सपा के वरिष्ठ विधायक माता प्रसाद पांडेय से ये जानना भी चाहा लेकिन उन्होंने कहा कि सदन में स्वास्थ्य पर चर्चा चल रही थी और वे खुद ये समझ नहीं पाये कि अचानक सीएम ने ये क्यों कहा. पांडेय तब सदन में ही बैठे थे.

    हालांकि ये तो सोलह आने सच है कि भाजपा ने मुलायम सिंह वाली सरकार को समर्थन दिया था. आज ये बात अटपटी लग रही होगी. मन में सवाल उठ रहें होंगे कि जो दो पार्टियां एक दूसरे की सियासी जानी-दुश्मन हैं तो वे एक साथ कभी भागीदार कैसे रहीं थीं.वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी ने इसका सटीक जवाब दिया. उन्होंने कहा कि उस दौर में न सपा ऐसी थी और न ही भाजपा. भाजपा का वजूद उभर रहा था और उसे किसी भी हालत में कांग्रेस को रोकना था. इसीलिए भाजपा ने केन्द्र में वीपी सिंह और राज्य में मुलायम सिंह यादव को समर्थन दिया. 1989 की विधानसभा में कांग्रेस के 94 विधायक थे. तोड़फोड़ करके नारायण दत्त तिवारी सरकार बना सकते थे लेकिन, कांग्रेस को रोकने के लिए भाजपा ने मुलायम सिंह वाली सरकार को समर्थन दिया. मुलायम सिंह लगभग पौने दो साल सीएम रहे. हालांकि एक सच ये भी है कि भाजपा, जनता पार्टी का हिस्सा तो रही ही थी. जनता दल भी जनता पार्टी का हिस्सा था.

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