भोपाल! मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि कमला नेहरू अस्पताल में घटी घटना आपराधिक लापरवाही है। जिनका दोष है, उन्हें तत्काल हटाकर उन पर कार्रवाई की जाएगी, किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मोहम्मद सुलेमान को घटना की जाँच का दायित्व सौंपा गया है। गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. जीतेन्द्र शुक्ल, हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. लोकेन्द्र दवे और कमला नेहरू अस्पताल के संचालक डॉ. के.के. दुबे को पद से हटाने और सीपीए विद्युत विंग के उप यंत्री अवधेश भदौरिया को निलंबित करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि घटना से संबंधित सभी तथ्य जनता के सामने आने चाहिए। सरकार को इसमें कुछ नहीं छुपाना है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान मंत्रालय में मंत्रीगण एवं वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में हुई दुःखद घटना के संबंध में बैठक को संबोधित कर रहे थे।
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंग, गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, भोपाल के प्रभारी मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री मोहम्मद सुलेमान, अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा, आयुक्त भोपाल श्री गुलशन बामरा, पुलिस महानिदेशक श्री विवेक जौहरी तथा आयुक्त जनसंपर्क डॉ. सुदाम खाड़े सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि एस.एन.सी.यू. सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट (नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई) में गंभीर रूप से अस्वस्थ बच्चों को रखा जाता है। भविष्य में इस प्रकार की घटना न हो, इसके लिए प्रदेश में अभियान चलाया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि शासकीय तथा निजी अस्पतालों को बाध्य किया जाए कि वे समय-सीमा में फायर और इलेक्ट्रिक सेफ्टी ऑडिट कराएँ। सभी जिला कलेक्टर अगले 10 दिन में अपने जिलों के सभी शासकीय तथा निजी अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों के फायर और इलेक्ट्रिक सेफ्टी तथा अन्य बचाव एवं सुरक्षा के इंतजाम की समीक्षा करेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि यह सुनिश्चित किया जाए कि निश्चित समयावधि में आवश्यक रूप से फायर और इलेक्ट्रिक ऑडिट कराते रहें।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि शासकीय अस्पतालों में डॉक्टर पूर्णत: उपचार पर ध्यान दें, इसलिए प्रबंधन और उपचार की व्यवस्था को पृथक किया जाएगा। अस्पतालों के प्रबंधन और रख-रखाव के लिए पृथक कैडर बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अस्पतालों के सिविल वर्क, विद्युत व्यवस्था, उपकरणों के संधारण आदि के प्रबंधन में एजेंसियों का दोहराव न हो, यह सुनिश्चित किया जाए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि विशेषज्ञों के साथ मिलकर यह निर्धारित किया जाएगा कि किन-किन प्रावधानों को स्वास्थ्य संस्थाओं में लागू किया जाए, जिससे इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो। कई स्वास्थ्य संस्थाओं में ऑक्सीजन की लाईन डाली गई है। अस्पतालों में हुए इस उन्नयन को दृष्टिगत रखते हुए सेफ्टी के प्रावधानों को सुनिश्चित किया जाएगा। जिन स्वास्थ्य संस्थानों में ऑक्सीजन की व्यवस्था है, वहाँ ऑक्सीजन संचालन को लेकर स्टाफ को विशेष रूप से जागरूक कर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि चिकित्सा शिक्षा विभाग का स्वयं का सिविल विंग होगा, जो मेडिकल कॉलेज तथा उससे संबंधित अस्पतालों के रख-रखाव का कार्य करेगा। कमला नेहरू अस्पताल में रख-रखाव का कार्य सीपीए के पास था। आज ही यह कार्य सीपीए से वापस लेकर पी.डब्ल्यू.डी. को सौंपा गया है। यह अस्थाई व्यवस्था है। यह व्यवस्था चिकित्सा शिक्षा विभाग के स्वयं के सिविल विंग स्थापित होने तक जारी रहेगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंग ने घटना के संबंध में मीडिया से चर्चा की। गांधी मेडिकल कॉलेज की पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीमती ज्योत्सना श्रीवास्तव ने कमला नेहरू अस्पताल के पीडियाट्रिक वार्ड में हुई घटना तथा ट्रीटमेंट की वस्तु-स्थिति पर मीडिया को वक्तव्य दिया।
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