रांची। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने अपनी कुर्सी पर मंडराते संकट के बीच आज राज्य विधानसभा में विश्वास मत प्रस्ताव पेश कर दिया। विपक्षी भाजपा सदस्यों ने इस दौरान जमकर हंगामा किया। हालांकि, सोरेन की तकदीर का फैसला राज्यपाल रमेश बैस को करना है। उन्होंने अब तक सोरेन को अयोग्य करार देने के बारे में चुनाव आयोग की सिफारिश पर कोई फैसला नहीं किया है। विश्वास मत प्रस्ताव को बहस के बाद आज ही पारित किया जाएगा। इसके लिए विधानसभा एक दिनी विशेष सत्र बुलाया गया है।
सत्र के लिए महागठबंधन सरकार के समर्थक 29 विधायकों को छह दिन बाद रविवार को रायपुर से रांची लाया गया। माना जा रहा है कि सीएम सोरेन विधानसभा में बहुमत परीक्षण या विश्वास मत साबित करने में कामयाब रहेंगे, लेकिन इससे उनकी कुर्सी पर मंडराता संकट या विधायकी से अयोग्य करार दिए जाने की आशंका दूर नहीं होगी। राज्य में जारी सियासी संकट के चलते सर्किट हाउस व विधानसभा के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
कैश कांड में शामिल तीन कांग्रेस विधायक शामिल नहीं होंगे
विश्वास मत की कार्रवाई में राज्य के तीन कांग्रेस विधायक शामिल नहीं हो सकेंगे, क्योंकि वे कैश कांड में फंसे हैं। ये विधायक हैं, डॉ इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप। उन्हें हाईकोर्ट ने कोलकाता छोड़ने की इजाजत नहीं दी है।
विधानसभा की दलीय स्थिति
सोरेन को 48 विधायकों का समर्थन
सीएम सोरेन को बहुमत की दृष्टि से कोई खतरा नहीं है। उन्हें अपनी पार्टी झामुमो के 30, कांग्रेस के 15 (कैश कांड में लिप्त तीन विधायकों को छोड़कर), राजद, भाकपा माले तथा एनसीपी के एक-एक विधायक का समर्थन प्राप्त है। इस तरह सोरेन के पास 48 विधायकों का भरपूर समर्थन है।
चुनाव आयोग ने राज्यपाल को भेजी सिफारिश
दरअसल, भाजपा ने राज्यपाल रमेश बैस से शिकायत की थी कि सीएम सोरेन व उनके परिवार ने एक खदान की लीज हासिल करने के लिए पद का दुरुपयोग किया है, इसलिए उन्हें अयोग्य करार दिया जाए। इस शिकायत को जांच के लिए राज्यपाल ने चुनाव आयोग को भेजा था। चुनाव आयोग ने इस पर सीएम सोरेन को नोटिस जारी कर उनका और शिकायतकर्ता भाजपा का पक्ष सुनने के बाद अपनी सिफारिश राज्यपाल को भेज दी है।
आयोग की सिफारिश अब भी गुप्त
चुनाव आयोग ने राज्यपाल से क्या सिफारिश की है, यह अब तक औपचारिक रूप से सामने नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि उसने सोरेन के खिलाफ शिकायत को सही पाया है और उन्हें अयोग्य करार दिए जाने की सिफारिश की है। इसके बाद से झारखंड में राजनीतिक सरगर्मी तेज है। सत्तापक्ष यानी महागठबंधन व विरोधी भाजपा ने भी अपनी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं।
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