नई दिल्ली: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले राजभवन और राज्यपाल द्वारा चुनाव आयोग को सेकंड ऑपिनियन पर भी अपने तमाम विधायकों से चर्चा करेंगे. सूत्रों की माने तो महागठबंधन के सभी विधायकों को यह निर्देश दिया गया है कि हर हाल में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ एकजुटता के साथ खड़े रहे. सीएम सोरेन को ईडी के द्वारा तलब किए जाने के बाद सत्ताधारी गठबंधन भले ही सब कुछ ठीक कह रही है, लेकिन अंदर ही अंदर संकट की संभावना दिखने लगी है. हेमंत सोरेन से पूछताछ के दौरान एकता प्रदर्शित करने के लिए कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को रांची में पहुंचने का निर्देश दिया है.
माना जा रहा है कि गुरुवार को पूछताछ के दौरान भी कांग्रेस के विधायक आसपास के इलाकों में मौजूद रहेंगे. कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम अभी अपने विधानसभा क्षेत्र में हैं और सूत्रों के अनुसार देर शाम तक आलमगीर आलम भी वापस रांची आ जाएंगे. फिलहाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर की ओर से सभी विधायकों को रांची में जुड़ने के लिए कहा गया है. बता दें कि सीएम हेमंत सोरेन आपकी योजना, आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम को लेकर साहेबगंज दौरे पर थे. समन जारी होते ही उन्होंने एकाएक आज देर शाम यूपीए गठबंधन के विधायकों की बैठक मुख्यमंत्री आवास में बुला ली है.
3 नवंबर को अवैध खनन लॉन्ड्रिंग मामले में सीएम से होगी पूछताछ
बता दें कि अवैध खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने 3 नवंबर को पूछताछ के लिए झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को तलब किया गया है. इस मामले की कार्रवाई करते हुए ईडी को कई अहम दस्तावेज और अन्य साक्ष्य मिले है. जिसके आधार पर ईडी सीएम से पूछताछ करेगी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आने वाले दिनों में ईडी कुछ वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस को भी नोटिस भेज कर पूछताछ के लिए बुला सकती है.
बैठक में महागठबंधन के विधायक संकट से निपटने की बनाए गए रणनीति
ईडी ने 8 जुलाई को पंकज मिश्रा के ठिकानों पर छापामारी की थी.इस दौरान ईडी ने एक सीलबंद लिफाफा बरामद किया. जिसमें एक पासबुक और दो चेकबुक हैं. जिसमें हस्ताक्षर किया हुआ है. 31 ब्लैंक चेक बरामद हुए हैं, जो बैंक ऑफ इंडिया, साहिबगंज में गंगाप्रसाद शाखा के हैं. पासबुक और चेकबुक हेमंत सोरेन के नाम से हैं. मुख्यमंत्री पर एक तरफ अवैध खनन मामले में हिंदी की तलवार लटक रही है वहीं दूसरी तरफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग में उनकी सदस्यता पर भी संशय बरकरार है, अब देखना होगा कि बैठक के बाद महागठबंधन के विधायकों की इस संकट से निपटने की क्या कुछ रणनीति बनती है.
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