रामेश्वर धाकड़
भोपाल। प्रदेश में निर्माण विभागों में लंबे समय से चल रही परियोजनाओं में देरी, लेतलाली को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बेहद सख्त रुख अपनाया है। दो दिन पहले मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता चंद्रप्रकाश अग्रवाल को अचानक हटाकर मंत्रालय अटैच कर दिया। इससे पहले मेट्रो परियोजना में देरी के लिए वे मेट्रो रेल के ईएनसी जितेन्द्र दुबे को भी हटा चुके हैं। साथ ही नर्मदा घाटी विकास परियोजना एवं लोक निर्माण विभाग के कई लापरवाह अधिकारियों के लिखाफ निलंबित एवं तबादले की गाज गिर चुकी है। मुख्यमंत्री की सख्ती से निर्माण विभागों में हड़कंप मचा हुआ है। मुख्यमंत्री हर बड़ी परियोजना की खुद निगरानी कर रहे हैं। मंत्रालय में सीएम हेस्क बोर्ड पर परियोजनाओं की प्रगति रिपोर्ट की जानकारी अपडेट होती रही है। मुख्यमंत्री ने हाल ही में मैट्रो परियोजना, सभी बृृहद एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाएं, आवासीय परियोजनाएं, शहरी परियोजनाएं, ग्रामीण मार्ग, सीएम राईजिंग स्कूल आदि पर खासा फोकस किया है। खास बात यह है कि परियोजनाओं में देरी और लेतलाली के लिए अब छोटे अधिकारी एवं कर्मचारियों के अलावा अब विभाग के जिम्मेदारी अफसरों पर गाज गिर रही है। इससे लेतलाली करने वालों में हड़कंप मचा हुआ है।
बरगी परियोजना में देरी पर पूरा स्टाफ हटाया
बरगी व्यपवर्तन परियोजना की स्लीमनाबाद टनल का निर्माण कार्य 3 साल में पूरा होना था, लेकिन अभी तक 13 साल में भी परियोजना अधूरी है। काम में अत्यधिक देरी को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बेहद नाराजगी जताई है। साथ ही बरगी परियोजना में पदस्थ तकनीकी अमले को हटाने के निर्देश दिए हैं। इस परियोजना को हैदराबाद की कंपनी मैसर्स पटेल-एसईडब्ल्यू (संयुक्त उपक्रम) कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब इस कार्य में बिल्कुल भी विलंब नहीं होना चाहिए। तुरंत सारी कार्रवाई पूर्ण करते हुए टनल का कार्य प्रारंभ करा जाए तथा इसे जल्दी से जल्दी पूर्ण किया जाए। वर्तमान एजेंसी का कार्यकाल पहले आगामी 3 माह के लिए बढ़ाया जाए तथा इस दौरान निरंतर कार्य की मॉनिटरिंग की जाए। यदि कार्य संतोषप्रद होता है तो समय अवधि आगे बढ़ाकर कार्य पूर्ण कराया जाए। चौहान ने कार्य में विलंब को अत्यंत गंभीरता पूर्वक लेते हुए निर्देश दिए कि इसके लिए जिम्मेदारी तय की जाए और पूरा टेक्निकल स्टाफ बदला जाए। अन्य परियोजनाओं में पर भी मुख्यमंत्री ने फोकस किया है।
शंकराचार्य की प्रतिमा में अड़ंगा लगाया तो आईएफए को वापस बुलाया
रकेंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (एमओईएफ) के क्षेत्रीय दफ्तर भोपाल में डिप्टी डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेस्ट (डीडीजीएफ) पदस्थ बिभाष कुमार ठाकुर की सेवाएं मप्र सरकार को वापस कर दी गई हैं। ठाकुर की कार्यशैली से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नाराज थे। ठाकुर ने ओंकरेश्वर में नर्मदा नदी के किनारे आदि शंकराचार्य की 108 फीट की प्रतिमा स्थापित होनी है। इसके लिए 10 हैक्टेयर जमीन फॉरेस्ट से ली जानी है। मप्र के वन विभाग की तरफ से यह प्रस्ताव एमओईएफ के क्षेत्रीय दफ्तर को भेजा गया तो उन्होंने पेंच लगा दिया। ठाकुर ने राज्य सरकार से पूछ लिया कि क्या इस प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण क्लियरेंस लिया गया या नहीं। चूंकि मुख्यमंत्री खुद प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा कर चुके थे, लिहाजा जमीन आवंटन में हो रही देरी से वे खासे नाराज हुए। इसके बाद ठाकुर की वापसी हो गई।
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