भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने शनिवार को मौलाना आजाद नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मैनिट) में आठवें भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (Indian International Science Festival) का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत की सोच ही वैज्ञानिक हैं। साइंटिफिक सोच (scientific thinking) भारत की जड़ों में हैं। हजारों साल पहले से भारत प्रौद्योगिकी में बहुत आगे रहा है। आज जिम्मेदारी के साथ यह कहता हूं कि धर्म और विज्ञान (religion and science) एक-दूसरे को काटते नहीं हैं, बल्कि समर्थन करते हैं।
उन्होंने कहा कि जब कोविड का कठिन काल आया, तो हमने कल्पना भी नहीं की थी कि हमारी स्वदेशी वैक्सीन बन जाएगी। वैज्ञानिक पहले भी थे लेकिन सशक्त लीडरशिप नहीं थी। हमारे वैज्ञानिकों ने दो वैक्सीन बना दी और विदेशों में भी भेजी गईं। 200 करोड़ से ज्यादा डोज लगाए जा चुके हैं। सीएम शिवराज ने अपने संबोधन से पहले कार्यक्रम स्थल के सर्दी में चल रहे एसी बंद करा दिए। कार्यक्रम को केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी संबोधित किया।
शिवराज ने कहा कि एक जमाना था जब भारत के उपग्रह कोई और लॉन्च करता था। आज हम न सिर्फ अपने, बल्कि अन्य देशों के उपग्रह भी लॉन्च कर रहे हैं। विज्ञान को टेक्नोलॉजी की जननी माना जाता है। उससे भी आगे कुछ है तो वह है जिज्ञासा। जिज्ञासा से ही इनोवेशन होते हैं। अनुसंधान होते हैं। जब न्यूटन के सामने पेड़ से सेब जमीन पर गिरा, तब उनकी जिज्ञासा के कारण ही गुरुत्वाकर्षण बल का पता लग पाया।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अलग-अलग रसायनों को मिलाकर कोई नया रसायन बनाना जिज्ञासा ही है। जिज्ञासा ही मानव को चांद पर लेकर गई। जिज्ञासा के कारण हम मंगल ग्रह तक पहुंच सके। भारत स्टार्टअप्स के इकोसिस्टम में दुनिया में तीसरे नंबर पर आ गया है। यह जिज्ञासा और जानने की इच्छा मन में बनी रहना चाहिए। आपके अंदर जिद भी होना चाहिए क्योंकि जो आप सोचते हो, उसे जमीन पर उतारने की जिद जरूरी है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में एक गौरवशाली, वैभवशाली, शक्तिशाली, समृद्ध और सशक्त भारत का निर्माण हो रहा है। उनकी सोच भी साइंटिफिक है। एक तरफ हमने योग, ध्यान, प्राणायाम और समाधि के जरिए ब्रह्मांड के सत्य को खोजने की कोशिश की। विमान की कल्पना हजारों साल पहले से ही भारत में थी। भारत के खगोल विज्ञानी भास्कराचार्य ने न्यूटन से सदियों पहले साबित किया था कि पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को एक विशेष शक्ति के साथ अपनी ओर आकर्षित करती है। अथर्ववेद में पहली बार लक्षणों के आधार पर ज्वर, खांसी, कुष्ठ जैसे रोगों की चिकित्सा का वर्णन है। ईसा से 600 साल पहले तक्षशिला और बनारस औषध विज्ञान के बड़े केंद्र बनकर उभरे थे।
शिवराज ने कहा कि चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में हर प्रकार की चिकित्सा का वर्णन है। ये हम नहीं कहते, जमाना कहता है। कोई ये न समझे कि हमने विज्ञान पश्चिम से लिया है। नवग्रह हमारे लिए कोई नए नहीं हैं। हमारे ऋषि इनके बारे में सालों पहले से जानते हैं। आज जिम्मेदारी के साथ यह कहता हूं कि धर्म और विज्ञान एक-दूसरे को काटते नहीं हैं, बल्कि समर्थन करते हैं। विज्ञान और आध्यात्म के इंटरकनेक्शन को हमने समझा है।
शिवराज ने कहा कि भारत ने दुनिया को शून्य दिया है। दशमलव की खोज भारत ने की। आज इस प्राचीन ज्ञान को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा कि हम प्राचीन भारतीयों के बहुत एहसानमंद हैं जिन्होंने हमें गिनना सिखाया है। हमें अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। हमने अपनी विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की नीति बनाई है। गुड गवर्नेंस में हम तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग कर रहे हैं।
शिवराज ने कहा कि हमने नई स्टार्टअप नीति बनाई है। अगर आपके पास इनोवेटिव आइडिया है तो आपको निराश नहीं होने दूंगा। एक साल में मध्यप्रदेश में 2,600 स्टार्टअप बने हैं। छोटे कस्बों से भी प्रतिभाशाली बच्चे सामने आ रहे हैं। इस सोच और विचार को रुकने मत दो। इंदौर में हम स्टार्टअप पार्क बना रहे हैं। जरूरत पड़ी, तो भोपाल और ग्वालियर में भी बनाएंगे। हम वेंचर कैपिटल फंड बनाएंगे। सीएम शिवराज ने कहा कि व्यक्ति जैसा सोचता और करता है, वैसा ही बन जाता है। अगर आप कुछ सोचोगे ही नहीं, तो मुंह पर बैठी मक्खी भी उड़ाने किसी और को आना पड़ेगा। इस उत्साह के साथ इस साइंस फेस्टिवल में आप लोग भाग लें।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमारे देश में प्रतिभा की कमी नहीं रही है। लोगों में क्षमता और जज्बा भी कम नहीं था। आंखों में सितारे भी कम नहीं थे, लेकिन शायद तब उस प्रकार अनुकूलता का वातावरण नहीं था। अब वातारण बदला है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार नित नए प्रयोगों को बढ़ावा दे रही है। मध्यप्रदेश के कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप की अपार संभावनाएं हैं। मध्यप्रदेश में बांस बहुतायात में पाया जाता और वेस्ट-टू-वेल्थ सेक्टर में मध्यप्रदेश बहुत योगदान कर सकता है।
एमिटी यूनिवर्सिटी के शिक्षाविद भी साइंस फेस्टिवल में भाग ले रहे हैं। यूनिवर्सिटी की डॉ. तनु जिंदल, डॉ. रजनी सिंह, डॉ. नीरज शर्मा समेत प्रतिष्ठित एमिटी वैज्ञानिक इस दौरान विविध विषयों पर पैनल डिस्कशन में भाग लेंगे। फेस्टिवल में एमिटी वैज्ञानिक नए उत्पादों और तकनीक पर प्रकाश डालेंगे। डॉ. हर्षा खर्कवाल, डॉ. अमित खर्कवाल, प्रो. अमित वर्मा, डॉ. वीके जैन, डॉ. नूतन कौशिक और डॉ. सीमा गर्ग की रिसर्च भी इस दौरान पेश की जाएगी।
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