भोपाल (Bhopal) । भोपाल के पूर्व विधायक रमेश शर्मा (Ramesh Sharma) के निधन (Death) पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने दुख जताते हुए कहा कि भोपाल सूना हो गया. मुख्यमंत्री ने पूर्व विधायक का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने की निर्देश भी दिए हैं. भोपाल उत्तर के पूर्व विधायक रमेश शर्मा “गट्टू भैया” का देर रात हृदयाघात से निधन हो गया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जब इस घटना की जानकारी लगी तो वे शोक व्यक्त करने के लिए पहुंचे.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि देर रात तक गट्टू भैया विवाह समारोह के दौरान वर वधू को आशीर्वाद दे रहे थे. इसके बाद अचानक उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया और उनका निधन हो गया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरल, सहज, विनम्र, पूर्व विधायक रमेश शर्मा छात्र जीवन में उनके सीनियर थे. जब छात्र संघ चुनाव होते थे, उस समय रात्रि में किसी भी नेता को भूख लगती थी तो वह गट्टू भैया की होटल पर जाता था. गट्टू भैया से पक्ष और विपक्ष सभी नेता प्रेम और स्नेह रखते थे. समाजसेवी गट्टू भैया का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ होगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह भी कहा कि गट्टू भैया के जाने से भोपाल सूना हो गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जीभर के गट्टू भैया को देखने आया हूं, फिर कभी भोपाल में गट्टू भैया नहीं दिखेंगे.
हम सबके प्रिय गुट्टू भैया नहीं रहे, यह भरोसा ही नहीं हो रहा है। सहज, सरल, विनम्र, हर दिल अजीज, निरंतर सक्रिय रहने वाले समाजसेवी, गुट्टू भैया भारतीय जनता पार्टी के स्तम्भ थे।
उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। मैं, प्रदेश सरकार और मध्यप्रदेश की जनता की ओर से… pic.twitter.com/JKOYyp12xR
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) May 11, 2023
आजादी के बाद पहली बार विजय हुई थी बीजेपी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार भोपाल की उत्तर सीट से बीजेपी के बैनर तले गट्टू भैया चुनाव जीते थे. उन्होंने बताया कि जब गट्टू भैया चुनाव लड़े थे उस समय सुबह 6 बजे से लोग लाइन लगाकर वोट डालने का इंतजार कर रहे थे. गट्टू भैया पार्टी के हर कार्यकर्ता के मान सम्मान का ध्यान रखते थे. समाजसेवी गट्टू भैया 1 दिन में छह बार विश्राम घाट जाने से भी नहीं चूकते थे. वे सुख दुख में सभी के साथ खड़े रहते थे. मुख्यमंत्री ने अभी बताया कि पहले अधिकांश नेता ट्रेनों से सफर करते थे और ट्रेन पर अगवानी के लिए हमेशा सबसे पहले गट्टू भैया ही पहुंचते थे.
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