नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तरफ से साफ कर दिया गया है कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Election) में शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) नहीं, पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) चुनावी अभियान का चेहरा होंगे. गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) से रविवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब पूछा गया कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा तो जवाब मिला- पार्टी का काम पार्टी को करने दीजिए. आप मत कीजिए.
यही नहीं, शिवराज चौहान के नाम का जिक्र भी राज्य-व्यवस्था के ऐतिहासिक संदर्भ की बात करने के दौरान और एक भाषण की शुरुआत में हुआ. जिस मंच से गृहमंत्री अमित शाह ने बीजेपी का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया वहां किसी नेता की तस्वीर नहीं थी, बल्कि इस बड़े से प्रेस कॉन्फ्रेंस हॉल में सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा चारों ओर स्टैंडीज पर लगा था.
राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी थे मंच पर
शिवराज चौहान के अलावा अमित शाह के साथ मंच पर राज्य इकाई के अध्यक्ष वीडी शर्मा थे जिन्हें मुख्यमंत्री का कट्टर प्रतिद्वंद्वी माना जाता है और साथ में राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी थे जो सत्ता के नए केंद्र के रूप में उभर रहे हैं. आमतौर पर बीजेपी, सत्तासीन मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ ही चुनावी मैदान में उतरती है जो कि मध्य प्रदेश के मामले में शिवराज सिंह चौहान हैं.
आलाकमान ने लिया है यह फैसला
मिली जानकारी के मुताबिक चुनावी प्रचार के चेहरे के रूप में चौहान के साथ न जाने का निर्णय आलाकमान द्वारा लिया गया है, हालांकि गृहमंत्री शाह ने सीएम के लिए लोकप्रिय और मेहनती जैसे विशेषणों का इस्तेमाल किया था. वहीं पीएम मोदी के नाम वाले चुनावी अभियान गीत पहले ही जारी हो चुके हैं और जल्द ही प्रचार-प्रसार से जुड़ी सामग्री भी आ जाएगी.
चार कारण क्यों शिवराज नहीं मोदी चेहरा हैं
इस फैसले का एक मुख्य कारण मध्य प्रदेश भाजपा इकाई के भीतर गुटबाजी बताई जा रही है, जहां शिवराज चौहान, वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित अलग-अलग खेमे हैं. मध्य प्रदेश के एक भाजपा नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि पीएम मोदी एक ऐसा चेहरा हैं जो केंद्र-राज्य इकाई को एकजुट करते हैं और सब उनके लिए काम करके खुश होंगे.
हालांकि जुलाई की शुरुआत में, अचानक एक शाम भोपाल पहुंचे गृहमंत्री शाह ने यह स्पष्ट कर दिया था कि पार्टी को एक इकाई के रूप में लड़ना होगा और ‘विजय संकल्प अभियान’ शुरू करना होगा, लेकिन फिर भी वह कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते. एमपी विधानसभा चुनाव के नतीजों का सीधा असर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों पर पड़ेगा, जिसके लिए बीजेपी ने पहले ही चुनावी बिगुल बजा दिया है.
भाजपा नेता ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी आने वाले महीनों में और अधिक राजनीतिक रैलियों को संबोधित करेंगे. इस तरह उनका मध्य प्रदेश चुनाव का चेहरा होना भाजपा के लोकसभा चुनाव अभियान की शुरुआती तैयारी में भी मदद करेगा. यहां तक कि अमित शाह के ‘रिपोर्ट कार्ड’ भाषण भी आंकड़ों से भरे थे जिसमें बताया गया था कि “प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश के लोगों को कितना कुछ दिया है.”
तीसरा, भाजपा को अपने 17 साल के शासन के कारण राज्य में सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है. और इसी लहर पर सवार होकर कमलनाथ (2018 में) सत्ता में आए थे. लेकिन जब प्रधानमंत्री मोदी की बात आती है, तो उन्हें अभी भी पूरे भारत में लोकप्रियता के मामले में रिकॉर्ड रेटिंग हासिल है. भाजपा शिवराज चौहान की सत्ता विरोधी लहर को रोकने के लिए मोदी की सत्ता समर्थक लहर का इस्तेमाल करना चाहती है.
आखिर में भाजपा इस बार कई युवा नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को मौका देना चाहती है. सूत्रों के मुताबिक इस बार रिकॉर्ड संख्या में मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं मिलेगा और अगर पीएम मोदी विधानसभा चुनाव का चेहरा बने रहते हैं, तो विद्रोह की आशंका लगभग न के बराबर होगी. दूसरी ओर चुनावी अभियान का नेतृत्व अगर शिवराज चौहान करते हैं तो असंतुष्ट सदस्यों को अपने पूर्व निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी की संभावनाओं को विफल करने का मौका मिल सकता है.
‘मोदी जैसा भक्त है आया’
चुनाव से पहले गानों ने माहौल बना दिया है, जिसके बोल प्रधानमंत्री मोदी के इर्द-गिर्द घूमते हैं. ‘महाकाल’ राज्य के एक प्रसिद्ध देवता हैं और ऐसे ही एक गीत में मोदी को ‘शिव भक्त’ के रूप में प्रस्तुत किया गया है. गीत का वीडियो भी है जिसमें मोदी पर फोकस साफ है. गीत के बोल हैं जिसमें एक पंक्ति आती है- मोदी जैसा भक्त है आया.
एक अन्य गीत आदिवासी समुदाय पर लक्षित है, जो इस बात पर रोशनी डालता है कि कैसे मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के मुफ्त राशन पैकेजों ने गरीबों को सबसे कठिन समय में मदद की है. हालांकि इनमें से कोई भी गाना आधिकारिक तौर पर भाजपा अभियान का हिस्सा नहीं है, लेकिन ये बताया जा रहा है कि इन्हें मोदी-केंद्रित अभियान को आगे बढ़ाने के इरादे से पार्टी के आदेश पर जारी किया गया है. सूत्रों की मानें तो आगे प्रचार-प्रसार सामग्री भी काडर को बांटी जाएगी जिस पर मोदी की तस्वीर होगी.
अपनी पहली बैठकों में से एक में, अमित शाह ने चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव की प्रशंसा की थी, जिन्होंने गुजरात के चुनाव प्रभारी के रूप में अपनी पिछली भूमिका में कुछ सफल अभियान चलाए थे. गुजरात चुनाव के दौरान यादव का अभियान पूरी तरह से मोदी-केंद्रित था. अगर यादव को अपना ‘गुजरात जादू’ दोहराना है, तो उन्हें आजमाए हुए फॉर्मूले का सहारा लेना होगा. किसी भी अंतरराष्ट्रीय नेता को नरेंद्र मोदी की तरह 14 देशों द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा नहीं गया है. ये एक रिकॉर्ड है. यह हमारे लिए गर्व की बात है – ये बात अमित शाह ने पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एमपी पर बीजेपी के रिपोर्ट कार्ड ‘गरीब कल्याण’ को राष्ट्रीय गौरव के साथ जोड़ते हुए कही.
भले ही अमित शाह ने फैसला भविष्य पर छोड़ दिया है, लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने आगाह किया कि पीएम मोदी को एमपी चुनाव का चेहरा बनाने का मतलब यह नहीं है कि पार्टी नतीजों के बाद ये सोचेगी कि किसे अपना मुख्यमंत्री बनाया जाए, बल्कि यह महज चुनाव से पहले की रणनीति है. भाजपा सूत्र ने कहा, ‘यह तो पहले से तय है. पार्टी मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ आगे बढ़ने के अपने पुराने तरीके से पीछे नहीं हटेगी.’
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