उज्जैन (Ujjain)। मोहन यादव मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री (Mohan Yadav new Chief Minister of Madhya Pradesh) बनने जा रहे हैं। सोमवार को विधायक दल की बैठक में अचानक उनका नाम आने के बाद सभी चौंक गए। शिवराज सरकार (Shivraj government) में पहली बार उच्च शिक्षा मंत्री रहे मोहन यादव (Mohan Yadav was the education minister.) के नाम दावेदारों की सूची में कहीं नहीं था। विधायक दल की बैठक में शिवराज सिंह चौहान ने जैसे ही मोहन का नाम लिया खुद यादव भी हैरान रह गए। मोहन यादव के नाम पर मुहर लगने के बाद उनमें सभी की दिलचस्पी बढ़ गई है। आखिर क्यों कई दिग्गजों को दरकिनार कर भाजपा ने मोहन यादव को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी, राजनीतिक विश्लेषक इसके कारण तलाश रहे हैं।
पीएचडी, एलएलबी, एमए, बीएससी की डिग्री रखने वाले मोहन यादव साफ छवि के नेता हैं। हालांकि, एक-दो बार वह अपने बयानों को लेकर भी सुर्खियों में रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान उनके भाषण का एक वीडियो सामने आया था, जो उनके सीएम बनने के बाद दोबारा वायरल हो गया है। खुद को महाकाल का भक्त बताने वाले मोहन यादव की दिन की शुरुआत सोशल मीडिया पर भस्म आरती की तस्वीर पोस्ट करने के साथ शुरू होती है।
मोहन यादव संघ के बेहद करीबी हैं। 58 वर्षीय यादव ने लंबे समय तक संगठन के लिए काम किया है। वह विद्यार्थी परिषद, आरएसएस और भाजपा में कई पदों पर रहते हुए जमीनी स्तर पर काम करते रहे हैं। मध्य प्रदेश के बाहर भले ही उनका नाम चौंकाने वाला हो, लेकिन प्रदेश के कार्यकर्ताओं के बीच वह नए नहीं हैं। इसके अलावा ओबीसी नेता होना भी उनके पक्ष में गया। भाजपा ने एक तरफ जहां छत्तीसगढ़ में आदिवासी चेहरा देकर अनुसूचित जनजाति वर्ग को खुश करने की कोशिश की तो एमपी में यादव को कमान देकर ओबीसी वर्ग को साधने की कोशिश की है।
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