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    कुश्ती महासंघ चुनाव में CM मोहन यादव को मिले सिर्फ 5 मत, उपाध्यक्ष पद का मुकाबला हारे

  • December 22, 2023

    नई दिल्‍ली (New Dehli) । मोहन यादव (Mohan Yadav)को भले ही मध्य प्रदेश (MP) के मुख्यमंत्री (Chief Minister)के रूप में चुना (chose)गया हो, लेकिन भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) का पदाधिकारी बनने की उनकी महत्वाकांक्षा गुरुवार को पूरी नहीं हुई। पूर्व पहलवान और मध्य प्रदेश कुश्ती संघ के प्रमुख, मोहन यादव नई दिल्ली में हुए भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के उपाध्यक्ष पद का चुनाव हार गए। वहीं निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के विश्वासपात्र संजय सिंह डब्ल्यूएफआई के कई बार लंबित हुए चुनावों में गुरुवार को यहां अध्यक्ष पद पर आसान जीत दर्ज करने में सफल रहे। उनके पैनल ने 15 में से 13 पद पर जीत दर्ज की।

    बृज भूषण शरण सिंह द्वारा समर्थित उम्मीदवारों के रूप में मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव को उपाध्यक्ष चुनाव में सिर्फ पांच मत मिले। वह चुनाव के लिए नहीं आए। उनके अलावा, बृज भूषण शरण सिंह ने जिन्हें समर्थन दिया था उनमें से दिल्ली के जय प्रकाश (37 वोट), पश्चिम बंगाल के असित कुमार साहा (42), पंजाब के करतार सिंह (44) और मणिपुर के एन फोनी (38) ने जिन पदों पर चुनाव लड़ा उनमें भारी अंतर से जीत हासिल की।


    मोहन यादव ने मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से काफी पहले जुलाई में इस पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। उस समय, डब्ल्यूएफआई चुनाव अगस्त में होने वाले थे लेकिन बाद में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने उन पर रोक लगा दी। मोहन यादव की हार चुनाव में चर्चा का एकमात्र प्रमुख मुद्दा नहीं थी। दरअसल जहां बृज भूषण के सहयोगियों ने अधिकांश सीटें जीतीं, वहीं दो पदों के लिए चुनावों ने समग्र मतदान पैटर्न को खारिज कर दिया।

    उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष संजय सिंह यूपी के एक बिजनेसमैन हैं। उनको 40 जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी और राष्ट्रमंडल खेलों की पूर्व स्वर्ण पदक विजेता अनिता श्योराण को सिर्फ सात मत मिले। लेकिन वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद के लिए पासा पलट गया। देवेंदर सिंह कादियान, जो फूड जॉइंट्स की चेन चलाते हैं और विरोध करने वाले पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगट और बजरंग पुनिया के करीबी माने जाते हैं, उन्होंने आईडी नानावटी को 32-15 से हराकर वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद जीत लिया।

    नानावती, एक अनुभवी प्रशासक, लंबे समय से बृजभूषण के समर्थक हैं और उन्होंने भाजपा सांसद के नेतृत्व वाले पिछले प्रशासन में विभिन्न पदों पर कार्य किया है। इसी तरह, महासचिव के पद के लिए रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड के सचिव प्रेम चंद लोचब ने चंडीगढ़ के उम्मीदवार दर्शन लाल को हराया। कुश्ती महासंघ के भीतर यह पद सबसे महत्वपूर्ण भूमिकाओं में से एक है। हालांकि, उनकी निष्ठा को लेकर खींचतान भी चल रही थी। लोचब को श्योराण के नेतृत्व वाले गुट का प्रतिनिधित्व करने वाले उम्मीदवार के रूप में देखा गया था, जिसे विरोध करने वाले पहलवानों का भी समर्थन प्राप्त था। रेलवे खेल संवर्धन बोर्ड के पूर्व सचिव लोचब ने 27-19 से जीत दर्ज की।

    लेकिन परिणाम घोषित होने के बाद, बृज भूषण को यह कहते हुए सुना गया कि “पूरा पैनल हमारा है। जो भी जीता है, हमारे वोटों से जीता है।” यह पूछे जाने पर कि क्या वह खुद को इस मुद्दे पर असमंजस में पाते हैं, लोचाब ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “ऐसा नहीं है कि मैं असमंजस में हूं। जब आपको कोई संगठन चलाना है तो आपको सभी को साथ लेकर चलना होगा। अगर हम किसी एक व्यक्ति की बात मानेंगे तो स्थिति जटिल हो जाएगी। इसलिए हमें हर किसी का नजरिया अपनाना होगा और उस दिशा में आगे बढ़ना होगा जो सबसे अच्छा हो।”

    भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के नए अध्यक्ष की बात करें तो आरएसएस से जुड़े संजय वाराणसी के रहने वाले हैं और बृजभूषण के बहुत करीबी सहयोगी हैं। निवर्तमान प्रमुख की खेल में जबरदस्त रुचि को देखते हुए यह उम्मीद है कि संजय नीतिगत निर्णयों में उनसे सलाह लेंगे। संजय ने चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह देश के हजारों पहलवानों की जीत है जिन्हें पिछले सात से आठ महीनों में नुकसान उठाना पड़ा है।’’ महासंघ के अंदर चल रही राजनीति के बारे में पूछे जाने उन्होंने कहा, ‘‘हम राजनीति का जवाब राजनीति और कुश्ती का जवाब कुश्ती से देंगे।’’

    अनिता के पैनल के इन दो उम्मीदवारों की जीत से संकेत मिलते हैं कि संभवत: किसी तरह का समझौता हुआ होगा क्योंकि संजय ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की जबकि इन दो पद के चुनाव में वोट बंट गए। चुनावों के नतीजों के बाद उम्मीद के मुताबिक डब्ल्यूएफआई कार्यालय में उत्सव का माहौल था और बृजभूषण के समर्थक जीत के नारे लगा रहे थे। डब्ल्यूएफआई का कार्यालय भाजपा सांसद बृजभूषण के बंगले में है और वहां ‘संजय भैया क्या लेकर चले, बृजभूषण की खड़ाऊ लेकर चले’ जैसे नारे सुनने को मिले। संजय के पैनल ने उपाध्यक्ष के चारों पद अपने नाम किए जिसमें दिल्ली के जय प्रकाश (37), पश्चिम बंगाल के असित कुमार साहा (42), पंजाब के करतार सिंह (44) और मणिपुर के एन फोनी (38) ने जीत हासिल की। बृजभूषण के गुट के सत्यपाल सिंह देसवाल नए कोषाध्यक्ष होंगे। उत्तराखंड के देसवाल ने जम्मू-कश्मीर के दुष्यंत शर्मा को 34-12 से हराया। कार्यकारी समिति के पांचों सदस्य भी निवर्तमान अध्यक्ष के गुट से हैं।

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