कोलकाता: बंगाल कैबिनेट ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को स्टेट यूनिवर्सिटी के चांसलर के पद से हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. अब ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की जगह यूनिवर्सिटीज की चांसलर होंगी. अब इस फैसले को पश्चिम बंगाल के विधानसभा में पास कराना होगा. बता दें कि 10 जून से पश्चिम बंगाल का विधानसभा सत्र शुरू होगा.
बंगाल सरकार का ये फैसला राज्यपाल की शक्तियों को कम करने के इरादे से लिया गया है. नये नियम के तहत स्टेट यूनिवर्सिटी के चांसलर की भूमिका मुख्यमंत्री या मुख्यमंत्री द्वारा नामित शिक्षाविद् संभालेंगे. राज्यपाल केवल यूनिवर्सिटी में उसी तरह विजिटर रहेंगे जैसे सेंट्रल यूनिवर्सिटी में राष्ट्रपति होते हैं.
लंबे समय से जारी है खींचतान
बता दें कि लंबे समय से पश्चिम बंगाल में राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच खींचतान जारी है. वहीं, कुलपति के मुद्दे पर ममता सरकार यह आरोप लगा रही थी कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ राज्य सरकार की सहमति के बगैर कुलपतियों की नियुक्तियां कर रहे हैं. कुछ महीने पहले शिक्षा मंत्री बसु ने भी राज्यपाल पर फाइलें अटकाकर रखने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि राज्यपाल के रवैये से शिक्षा मंत्रालय के कामकाज में बड़ी मुश्किलें आ रही हैं.
इसके ठीक विपरीत राज्यपाल की ओर से दिसंबर 2021 में प्राइवेट यूनिवर्सिटीज़ के वाइस चांसलर्स के लिए बुलाई गई मीटिंग में 11 यूनिवर्सिटी के चांसलर ने हिस्सा नहीं लिया था. राज्यपाल ने मीटिंग में खाली पड़ी कुर्सियों की तस्वीर ट्वीट कर इसे गंभीर समस्या बताया था जिसके कुछ समय बाद ममता बनर्जी ने धनखड़ को ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया था. ममता ने उनपर कई गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि वह उनके ट्वीट से परेशान हो गई हैं.
कितना वैधानिक है फैसला
वैधनिक संरचना के तहत राज्यपाल ही राज्य के सभी स्टेट यूनिवर्सिटी का चांसलर होता है. आजादी के बाद जब भी किसी राज्य के यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाती है, तो ऐसा राज्य विधानसभा द्वारा पारित कानून की मदद से किया जाता है. इस कानून में उस राज्य के राज्यपाल को अपना पदेन चांसलर बनाने का प्रावधान भी शामिल है. हालांकि, राज्य विधानसभा इसमें बदलाव कर सकती है.
बंगाल से पहले इन राज्यों में हो चुका है ऐसा बदलाव
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