गुआहाटी (Guwahati)। बहुविवाह और असम सरकार (Polygamy and the Government of Assam) इन दिनों चर्चा में हैं। इसी बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा (Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma) ने मुस्लिमों के बीच प्रचलित बहुविवाह की परंपरा को लेकर एक बार फिर से बड़ा बयान दिया है।
दरअसल, राज्य सरकार ने एक एक्सपर्ट कमिटी बनाने का फैसला किया है, जो बताएगी कि क्या विधानसभा को राज्य में बहुविवाह पर बैन लगाने का अधिकार है? यह कमिटी राज्य के नीति निदेशक तत्वों के संबंध में मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एक्ट, 1937 और संविधान के आर्टिकल 25 के प्रावधानों का अध्ययन करेगी।
बता दें कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा (Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma) ने गुरुवार (18 मई) को कहा कि मुस्लिम धर्मावलंबियों के मुताबिक बहुविवाह (पॉलीगेमी) का साधारण सा उद्देश्य है कि मुस्लिम मां-बहनों के साथ दूसरे दर्जे के नागरिकों की तरह व्यवहार न हो। उन्होंने कहा कि बहुविवाह फिलहाल मुस्लिमों के बीच कानूनी है। अगर कोई हिंदू बहुविवाह करता है तो यह गलत है। इस दौरान उन्होंने ये भी इशारा किया कि अगस्त या सितंबर तक असम सरकार बहुविवाह के खिलाफ कोई कानून ला सकती है।
उन्होंने कहा कि पैगंबर की जो शिक्षा है, वो हमारे समाज के लिए बहुत उच्च स्तर की शिक्षा है। पैगंबर मुहम्मद ने कहा था कि इस्लाम में एक विवाह करना कानून है और बहुविवाह करना अपवाद है। सीएम सरमा ने आगे कहा कि मैं इस मुद्दे पर किसी भी इस्लामिक स्कॉलर से बहस करने के लिए तैयार हूं। सीएम सरमा ने कहा कि इस्लाम में पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) की कही बात अल्लाह का संदेश मानी जाती हैं। पैगंबर ने ही कहा है कि एक विवाह करना कानून है और बहुविवाह अपवाद है।
शादी से जुड़े जितने भी क़ानून हैं, उन्हें संविधान के भाग 3 में दिए मूल अधिकारों के अनुरूप होना चाहिए और बहुविवाह संविधान के आर्टिकल 14, 15 और 21 के तहत मुस्लिम महिलाओं के दिए गए मौलिक अधिकारों का हनन करता है। इसके अलावा, भारत यूएन और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों से जुड़े कन्वेंशन में भी शामिल है, जो मानते हैं कि बहुविवाह महिलाओं की गरिमा का उल्लंघन करता है और इसे समाप्त कर दिया जाना चाहिए।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved