नई दिल्ली (New Delhi)। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा (Assam CM Himanta Biswa Sarma) में ठन गई है. 24 घंटे के भीतर दोनों ने एक दूसरे पर तीखे हमले किए हैं. दरअसल, ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ (Bharat Jodo Nyay Yatra’) लेकर राहुल इस समय असम में चल रहे हैं. शिवसागर जिले में उन्होंने आरोप लगाया कि शायद भारत में सबसे भ्रष्ट सरकार असम में है. यहां के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा का पूरा परिवार भ्रष्टाचार में लिप्त है. उनकी संतान, वह खुद और उनकी पत्नी सभी किसी ना किसी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. कुछ देर बाद CM हिमंत ने पलटवार किया और गांधी परिवार को देश का सबसे भ्रष्ट परिवार करार दिया. वैसे, पहले दोनों के रिश्ते ऐसे नहीं थे. एक समय हिमंत कांग्रेस के वफादार थे.
तब तरुण गोगोई थे असम के सीएम
करीब डेढ़ दशक पहले की बात है. असम में चुनाव हुए. तरुण गोगोई काफी समय से असम के सीएम थे. तब स्वास्थ्य मंत्री के रूप में काम कर चुके हिमंत खुद को मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार मानते थे. 28 अप्रैल 2012 को उन्होंने एक ट्वीट किया, ‘पिछले चुनाव में हाथ में सलाइन ड्रिप लेकर मैंने प्रचार किया था और वो सब कुछ किया जिससे तरुण गोगोई सीएम बन सकें. कोई मुझे निष्ठा का पाठ न पढ़ाए.’ बात राहुल गांधी तक पहुंची और उन्होंने सीएम पोस्ट के लिए हिमंत के दावे को ठुकरा दिया जबकि उन्होंने दावा किया था कि 79 कांग्रेस विधायकों में से 52 उनके समर्थन में हैं. यह बात जुलाई 2014 की है.
राहुल पर खुलकर बोले हिमंत
एक साल बाद हिमंत ने कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए. विधायक के तौर पर इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर राहुल की खुलकर आलोचना की. एक इंटरव्यू में सरमा ने बताया था कि राहुल गांधी मुद्दों की अहमियत नहीं समझते थे. वह बीच-बीच में उठकर चले जाते थे फिर चले आते. एक दिन वह असम के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आए थे लेकिन पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अपने कुत्ते को बिस्कुट खिलाने में व्यस्त थे. मीडिया में इसकी काफी चर्चा हुई थी.
राहुल ने कल कहा कि असम के सीएम को लगता है कि पैसा असम के लोगों को खरीद सकता है क्योंकि वे खरीदे जा सकते हैं लेकिन असमी लोगों की कीमत कोई नहीं लगा सकता. वैसे, जब सरमा भाजपा में आए थे तब उनके खिलाफ आरोप और जांच भी चल रही थी. काफी लोगों ने कहा भी कि यह प्रेशर था जिसके कारण उन्हें बीजेपी में जाना पड़ा.
नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी की लॉटरी लग गई
हां. सरमा के कारण ही भाजपा ने पहली बार किसी पूर्वोत्तर स्टेट में कमल खिलाया. आगे नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी का प्रभाव बढ़ता गया. सरमा के बारे में कहा जाता है कि उनका नॉर्थ ईस्ट के सभी राज्यों में प्रभाव है. उसका फायदा बीजेपी को मिला. 2016 में एक इंटरव्यू में सरमा ने असम में भाजपा की जीत पर कहा था कि मैंने दो साल पहले राहुल गांधी से कहा था कि ऐसे ही चला तो कांग्रेस को 25 सीटें नहीं मिलेंगी.
एक इंटरव्यू में सरमा ने कहा, ‘वह (राहुल) बहुत अहंकारी हैं. जब आप उनसे मिलने जाते हैं तो नौकर- मालिक का रिश्ता समझ में आता है…या तो उन्हें बदलना होगा या कांग्रेस को उन्हें बदलना होगा.’
कांग्रेस की गलती
आगे चलकर कांग्रेस की इसके लिए आलोचना भी हुई कि उसने युवाओं को मौका न देकर बड़ी गलती की. ऐसा एक राज्य में नहीं हुआ. एक के बाद एक युवा कांग्रेसी नेता भाजपा में शामिल होते गए क्योंकि उनकी महत्वाकांक्षाएं पूरी नहीं हो रही थीं. कांग्रेस ने अगली पीढ़ी के नेताओं को तैयार करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. ऐसे में नेताओं के पार्टी छोड़ने की शुरुआत मोदी सरकार बनने के बाद होने लगी. सरमा के जाने के बाद नॉर्थ ईस्ट कांग्रेस के हाथ से फिसलता चला गया. पिछले दिनों जब मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस छोड़ी तो नेताओं की वो लिस्ट बढ़ गई.
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