नई दिल्ली: तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू (N Chandrababu Naidu) ने शुक्रवार को कहा कि वह सत्ता में लौटने के बाद ही फिर से आंध्र प्रदेश विधानसभा (Andhra Pradesh) में कदम रखेंगे. विधानसभा सत्र के पहले दिन सत्तारूढ़ दल के सदस्यों की टिप्पणी के बाद तेलुगु देशम पार्टी (Telugu Desam Party) और विपक्ष के नेता नायडू ने कसम खाई कि वह अगले चुनावों में अपनी पार्टी की जीत के बाद ही सदन में लौटेंगे.
दरअसल, सदन में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस के सदस्यों द्वारा लगातार किए जा रहे अपशब्दों के इस्तेमाल से चंद्रबाबू नायडू आहत हो गए, जिसके बाद उन्होंने सत्ता में लौटने तक विधानसभा नहीं आने की बात कह डाली. नायडू शुक्रवार को एक प्रेस मीट को संबोधित कर रहे थे. इसी दौरान सत्ताधारी पार्टी के नेताओं द्वारा अपनी पत्नी के खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों का जिक्र करते हुए वह रो पड़े और कहा कि भारतीय राजनीति में अपने चार दशकों के कार्यकाल के दौरान उन्होंने ऐसा अपमानजनक व्यवहार कभी नहीं झेला.
शीतकालीन सत्र में महिला सशक्तिकरण पर बहस के दौरान नायडू और उनकी पत्नी के खिलाफ वाईएसआरसीपी के सदस्यों ने कथित अपमानजनक टिप्पणियां कीं, जिसपर नायडू ने कड़ी नाराजगी जाहिर की. नायडू ने कहा, ‘पिछले ढाई साल से मैं अपमान सह रहा हूं लेकिन शांत रहा. आज उन्होंने मेरी पत्नी को भी निशाना बनाया है. मैं हमेशा सम्मान के लिए और सम्मान के साथ रहा. मगर अब मैं इसे और नहीं सह सकता.’
TDP and opposition leader #ChandrababuNaidu @ncbn breaks down in a press meet because YSRCP MLAs made unsavoury remarks on his wife… pic.twitter.com/fLnTgNmpVg
— Garima Tiwari (@Garima18897) November 19, 2021
सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों ने नायडू की पत्नी को बनाया निशाना
टीडीपी नेता ने कहा कि उनकी पत्नी को भी सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों ने निशाना बनाया. उन्होंने आगे कहा कि वह अपने परिवार के सदस्यों के चरित्र हनन को बर्दाश्त नहीं कर सकते. नायडू की पत्नी एनटी रामा राव (NT Rama Rao) की बेटी हैं, जिन्होंने आंध्र प्रदेश में TDP की स्थापना की और दो बार उसे जीत दिलाई.
25 मार्च 1989 को तमिलनाडु विधानसभा (Tamil Nadu Assembly) में भी एक ऐसी ही घटना हुई थी, जब AIADMK नेता जे. जयललिता (Jayalalithaa) ने सदन में अपमान का सामना करने के बाद अगले चुनाव में सीएम के रूप में चुने जाने तक विधानसभा में नहीं लौटने की कसम खाई थी. हालांकि इसे भी एक नाटकीय कदम करार दिया गया था, लेकिन जयललिता समर्थन हासिल करने और अगला चुनाव जीतने में सक्षम रही थीं.
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