नई दिल्ली । आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री(Chief Minister of Andhra Pradesh) एन चंद्रबाबू नायडू(N Chandrababu Naidu) ने कहा कि उनकी सरकार (Government)पूर्व की सरकार(Former government) द्वारा किए गए सोलर पावर खरीद समझौतों को एकतरफा रद्द नहीं कर सकती, भले ही अमेरिका में अरबपति गौतम अडानी और उनकी कंपनी के खिलाफ आरोप लगाए गए हों। मंगलागिरी में अपने पार्टी कार्यालय में संवाददाताओं से बात करते हुए नायडू ने यह बात कही है।
उन्होंने जगन मोहन रेड्डी के कार्यकाल के दौरान सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के साथ किए गए 7,000 मेगावाट सोलर पावर समझौते के कानूनी जटिलताओं पर भी बात की है।
नायडू ने कहा, “राज्य सरकार तब तक इस समझौते को रद्द नहीं कर सकती जब तक इसमें अनियमितताओं का पर्याप्त सबूत नहीं मिलते हैं। अगर हम इन समझौतों को रद्द करते हैं तो हमें भारी जुर्माना भरना पड़ेगा। ठोस प्रमाण के बिना हम कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं।” अमेरिकी न्याय विभाग के 54 पन्नों के अभियोग में 265 मिलियन डॉलर की घूसखोरी का आरोप लगाया गया है। अभियोजकों का कहना है कि अडानी के अधिकारियों ने सरकार के अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए साजिश रची ताकि सोलर पावर की डील हासिल किए जा सकें।
चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को कहा, “अमेरिका में लगें आरोपों के बाद जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ कार्रवाई करने और उन्हें जेल भेजने का एक सुनहरा अवसर है। लेकिन यह मेरी नीति नहीं है। मैं इसे केवल राजनीतिक प्रतिशोध के लिए यह नहीं करना चाहता।”
वहीं, वाईएसआर के महासचिव सज्जला रामकृष्णा रेड्डी ने तर्क दिया कि यह समझौता पूरी तरह से जांचा गया था। उन्होंने कहा, “तब की परिस्थितियों में 2.49 प्रति यूनिट की सोलर पावर खरीदने के लिए यह सबसे अच्छा सौदा था। इसी में परिवहन का खर्चा भी शामिल था।” रेड्डी ने रिश्वतखोरी के आरोपों को आधारहीन बताया।
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