शिवराज सिंह चौहान
आज से 65 वर्ष पहले देश के ह्दय स्थल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश की स्थापना हुई थी। मध्यप्रदेश ने इतने वर्षों में कई पड़ाव देखे हैं। कभी बीमारू राज्य कहे जाने वाले इस प्रदेश ने पिछले 15 वर्षों में विकास की करवट ली है। तभी से हमने समृद्ध और स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने का संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है। उन्हीं की संकल्पना के अनुरूप हमने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की परिकल्पना की। हमारा लक्ष्य वर्ष 2023 तक प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का है। देखा जाए तो मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का बीज हमने आज से 15 वर्ष पहले ही रोपित कर दिया था। मैंने 15 वर्ष पूर्व जब पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, उस समय मध्यप्रदेश में मूलभूत सुविधाओं का अभाव था। सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजग़ार इन सभी सुविधाओं की प्रदेश में कमी थी। मैंने अपने जीवन का हर पल प्रदेश के विकास और लोगों के उत्थान के लिए समर्पित किया है। मैंने हर समय यह कोशिश की है कि मध्यप्रदेश की एक अलग पहचान पूरे देश में बने। पिछले डेढ़ दशक में प्रदेश में हुए सकारात्मक बदलाव व अधोसंरचना के निर्माण का हर नागरिक साक्षी है। आज मुझे इस बात का गर्व है कि आप सभी के सहयोग और आशीर्वाद से हम प्रदेश को बीमारू से विकासशील और विकासशील से आत्मनिर्भर की ओर अग्रसर करने में सफल हुए हैं।
सबसे पहले हमने सभी वर्गों से जुड़े लोगों की पंचायतें मुख्यमंत्री निवास पर बुलाईं और उनकी समस्याओं को करीब से समझा। चर्चा कर हर समस्या के अनुरूप योजनाएं शुरू कीं। महिलाओं को आत्मसम्मान और गरिमा प्रदान की। किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण, मेधावी विद्यार्थी योजना, लाडली लक्ष्मी, कन्या विवाह, संबल जैसी योजनाएं लागू कीं। हमने प्रदेश में महिलाओं और बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा और सम्?मान के लिये योजनाएं बनाईं। बेटी के जन्म से लेकर संपूर्ण जीवन के साथ उनके सुखद जीवन की व्यवस्था की। महिलाओं के संपोषण और सुरक्षा पर काम किया। महिलाओं को स्व-सहायता समूह से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया। आज मेरे प्रदेश में 3 लाख से अधिक महिला स्व-सहायता समूह कार्य कर रहे हैं, इनमें 38 लाख 10 हजार महिलायें जुड़ी हुई हैं और आत्मनिर्भर हो रही हैं। हमने उनके द्वारा तैयार किए गये उत्पादों को राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की समुचित व्यवस्था की है। इनको इस वित्?तीय वर्ष में 2550 करोड़ रुपये का ऋण उपलब्?ध कराया जायेगा, जिसमें 600 करोड़ रुपये का ऋण उन्?हें प्रदान किया जा चुका है। अन्नदाता की खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए निरंतर प्रयास किये गये हैं। पहले उन्हें 18 प्रतिशत पर मिलने वाले ऋण को घटा कर 0 प्रतिशत पर उपलब्ध कराया। हमने कोरोना के संकटकालीन समय में भी एक लाख 49 हजार 670 करोड़ रुपये की राशि किसानों के खातों में डाली। हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्?द्र मोदी जी ने किसानों को पूरा सम्?मान देते हुए किसानों के खाते में प्रतिवर्ष 6 हजार रुपये किसान सम्?मान निधि के देने प्रारंभ किये। इसमें हमने किसान कल्?याण योजना के माध्?यम से 4 हजार रुपये प्रतिवर्ष जोड़कर कुल 10 हजार रुपये प्रति वर्ष की राशि देना प्रारंभ की है। इसके अंतर्गत प्रदेश के 74 लाख 50 हजार किसानों को वर्ष 2020-2021 एवं 2021-2022 में मिलाकर लगभग 4500 करोड़ रुपये दिये हैं। हमनें प्रदेश में गरीबों के कल्?याण को सर्वोच्?च प्राथमिकता दी है। प्रदेश के 6 लाख 20 हजार शहरी एवं ग्रामीण पथ व्?यवसायियों को 10-10 हजार रुपये का ब्?याज मुक्?त ऋण उनकी आज़ीविका के लिये दिया है। इन पथ व्?यवसायियों के खातों में कोरोना काल में भी एक-एक हजार की आर्थिक सहायता अलग से दी गई है। प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिये हमने अनेक कार्य किये हैं। आज प्रदेश के हर जिले में प्राथमिक और शासकीय चिकित्सा केंद्रों का जाल बिछा हुआ है। जहां लोगों को समय पर उपचार मिल रहा है। प्रदेश में आयुष्?मान भारत योजना के अंतर्गत गरीबों को नि:शुल्?क इलाज उपलब्?ध कराया जा रहा है। इस योजना में प्रदेश में 2 करोड़ 55 लाख से अधिक नागरिकों के आयुष्?मान कार्ड बन चुके हैं। यह कार्ड बनाने में मध्?यप्रदेश पूरे देश में पहले स्?थान पर है। आज प्रदेश में 20 मेडिकल कॉलेज स्?थापित हो चुके हैं। जननी एक्?सप्रेस एवं नि:शुल्?क 108 सुविधा ने लाखों लोगों के प्राणों की रक्षा की है। कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जनभागीदारी मॉडल के माध्?यम से प्रभावी नियंत्रण किया। इस मॉडल से मिले सुखद परिणामों का नतीजा है कि अन्य राज्यों ने भी जनभागीदारी मॉडल को अपनाया। प्रदेश में अब तक 7 करोड़ कोविड वैक्?सीन की डोज लगायी जा चुकी हैं जिसके कारण संभावित तीसरी लहर के खतरे को कम करने में कामयाब हुए हैं। हमने जब प्रदेश का दायित्व संभाला तब कभी-कभी बिजली आती थी, अब प्रदेश के हर कोने में 24 घंटे बिजली उपलब्ध है। किसानों को सिंचाई के लिए भरपूर बिजली मिल रही है। यही नहीं सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश देश में अग्रणी है। प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने का काम किया। सड़कों की प्राथमिकता तय करने और तकनीकी आधारित स्थिति के आंकलन के लिए रोड ऐसेट मैनेजमेंट सिस्टम की स्थापना की। नागरिकों को बेहतर सुविधाओं का लाभ मिले इसके लिए देश में पहली बार मध्यप्रदेश ने लोक सेवा गारंटी योजना शुरू की। सुशासन लाने के लिए स्थापित मध्यप्रदेश लोक सेवा गारंटी से मिले सुखद परिणामों के बाद अन्य राज्यों ने भी इस मॉडल को अपनाया। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करना भी हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रदेश के बेटा-बेटियों को गुणवत्?तापूर्ण शिक्षा मिले इसके लिए हमने मध्यप्रदेश में 9200 सीएम राइज स्कूल शुरू करने का निर्णय लिया। प्रदेश के प्रमुख मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की सीटों को बढ़ाए जाने का फैसला किया। प्रदेश के युवाओं को रोजग़ार देने की दिशा में भी हमने अनेक कदम उठाये हैं। प्रदेश में उद्योगों में वर्ष 2019-20 की तुलना में वर्ष 2021 में 40 प्रतिशत अधिक रोजग़ार सृजित हुये हैं। पिछले 17 महीने में 880 नई औद्योगिक इकाई प्रारंभ हुई हैं जिनमें 16 हजार 700 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश हुआ है तथा 47 हजार से अधिक लोगों को रोजग़ार प्राप्?त हुआ है। इसी प्रकार से प्रदेश में 1 हजार 893, सूक्ष्?म, लघु एवं मध्?यम उद्यम प्रारंभ हुए हैं, जिनमें 40 हजार लोगों को रोजग़ार मिला है। प्रदेश में 13 नये क्?लस्?टर प्रारंभ होंगे, जिनमें लगभग 25 हजार लोगों को रोजग़ार प्राप्?त होगा। रोजगार सेतु पोर्टल के माध्यम से युवाओं एवं श्रमिकों के लिये रोजग़ार की समुचित व्यवस्था की गयी है। युवाओं के पास स्वयं का अपना रोजग़ार हो इसके लिए हम उनको मुख्यमंत्री स्व-रोजग़ार के माध्यम से स्?व-रोजग़ार प्रदान करने का कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के माध्यम से युवा आज नौकरी देने की स्थिति में पहुंच गए हैं। इन सभी प्रयासों से तथा जनभागीदारी से हमारा प्रयास है कि हम जल्द ही मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनायें। हम सब मिलकर स्वर्णिम, समृद्ध और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाएं। आप सभी को मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस पर एक बार फिर बधाई और शुभकामनाएं।