नई दिल्ली (New Delhi) । शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग (short selling firm hindenburg) की रिपोर्ट के बाद गौतम अडानी समूह (Gautam Adani Group) पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अब अडानी समूह के फाइनेंशियल स्टेटमेंट पर कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने शुरुआती समीक्षा शुरू कर दी है। इसके साथ ही बीते कुछ साल में समूह की ओर से रेग्युलेटरी को किए गए फाइनेंस से जुड़े सब्मिशन को भी रिव्यू किया जा रहा है।
धारा 206 के तहत रिव्यू:
एक रिपोर्ट में दो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि विवाद के बाद अडानी समूह पर पहली बार केंद्र सरकार की ओर से इस तरह के कदम उठाए गए हैं। सूत्र ने बताया कि यह रिव्यू भारत के कंपनी अधिनियम की “धारा 206” के तहत किया जा रहा है। इसमें सरकार वर्षों से जमा किए गए वित्तीय दस्तावेजों की समीक्षा करती है, जैसे कि बैलेंस शीट, अकाउंट्स डिटेल आदि।
मिलते हैं ये अधिकार:
सूत्र के मुताबिक धारा 206 के तहत भारत सरकार को किसी कंपनी से जरूरत पड़ने पर किसी तरह के दस्तावेज मांगने का अधिकार होता है। मसलन, बोर्ड मीटिंग की डिटेल, प्रोसेस और प्रपोजल की जानकारी मांगी जा सकती है। सूत्र ने बताया कि कॉर्पोरेट मामलों के महानिदेशक द्वारा जांच शुरू की गई है। मंत्रालय स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है और समय पर उचित उपाय करेगा।
बता दें कि 24 जनवरी को हिंडनबर्ग ने 106 पेज की एक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट में अडानी समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। इसके बाद समूह की ओर से लगातार सफाई दी गई लेकिन ग्रुप से जुड़े शेयरों में गिरावट का दौर जारी रहा। हालांकि, शुक्रवार को लंबे समय बाद अडानी समूह की प्रमुख फर्म अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर बढ़त के साथ बंद हुए। वहीं, अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड भी आठ प्रतिशत की तेजी के साथ बंद हुआ।
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