नई दिल्ली । रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध (Russia Ukraine War) का वैश्विक वित्तीय बाजारों पर असर पड़ने से सरकार एलआईसी (LIC IPO) के मेगा आईपीओ (IPO) को स्थगित कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि सरकार बीमा कंपनी में अपनी हिस्सेदारी का अधिकतम मूल्य प्राप्त करने के लिए उपयुक्त समय की प्रतीक्षा कर सकती है।
एक सरकारी सूत्र ने कहा, यह अब पूरी तरह से युद्ध है इसलिए हमें एलआईसी आईपीओ (LIC IPO) के साथ आगे बढ़ने के लिए स्थिति का आकलन करना होगा। हो सकता है सरकार इसे अगले वित्त वर्ष के लिए टाल दे। आईपीओ के इसी महीने बाजार में आने की उम्मीद थी।
यूक्रेन की राजधानी कीव और अन्य बड़े शहरों में लड़ाई तेज होने के साथ रूस-यूक्रेन युद्ध आठवें दिन गुरुवार के दिन भी जारी रहा। सरकार चालू वित्त वर्ष में 78,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए जीवन बीमा फर्म में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 63,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद कर रही थी। अगर आईपीओ को अगले वित्त वर्ष के लिए टाल दिया जाता है, तो सरकार संशोधित विनिवेश लक्ष्य से भारी अंतर से चूक जाएगी।
उल्लेखनीय है कि इस वित्त वर्ष में अब तक सरकार सीपीएसई के विनिवेश और एयर इंडिया की रणनीतिक बिक्री के जरिए 12,030 करोड़ रुपये जुटा चुकी है। सरकार ने पहले 2021-22 के दौरान विनिवेश से 1.75 लाख रुपये जुटाने का अनुमान लगाया था। एलआईसी में सरकार की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी या 632.49 करोड़ से अधिक शेयर हैं। शेयरों का अंकित मूल्य 10 रुपये प्रति शेयर है। एलआईसी पब्लिक इश्यू भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में सबसे बड़ा आईपीओ होगा।
एक बार लिस्टेड होने के बाद एलआईसी का बाजार मूल्यांकन आरआईएल और टीसीएस जैसी शीर्ष कंपनियों के बराबर होगा। अब तक, 2021 में पेटीएम के आईपीओ से जुटाई गई राशि 18,300 करोड़ रुपये में सबसे बड़ी थी, इसके बाद कोल इंडिया (2010) लगभग 15,500 करोड़ रुपये और रिलायंस पावर (2008) 11,700 करोड़ रुपये थी।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved