क्राइम ब्रांच ने अपराधियों पर नकेल कसने के साथ ही पुलिस परिवारों को भी संभाला….
इंदौर। कोरोना (Corona) की दूसरी लहर (Second Wave) में पुलिस विभाग (Police Department) में एएसपी क्राइम वन मैन कोविड यूनिट के रूप में उभरकर सामने आए हैं। इस दौरान उन्होंने जहां पुलिस परिवार के अलावा 700 से अधिक मरीजों के लिए अस्पतालों में बेड की व्यवस्था की, वहीं शहर में रेमडेसिविर (Remdesivir) और टोसी इंजेक्शन (Tosi Injection) की कालाबाजारी करने वालों पर भी नकेल कसी। 473 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन भी पकड़े।
दूसरी लहर के दौरान बड़ी मात्रा में लोग कोरोना का शिकार हुए। इनमें ज्यादातार लोग ऐसे थे, जिनको अस्पताल में आईसीयू बेड या वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही थी। इसमें पुलिस परिवार के भी काफी लोग शिकार हुए। इसके चलते लोगों की मदद के लिए डीआईजी मनीष कपूरिया (DIG Manish Kapooria) ने एएसपी क्राइम गुरुप्रसाद पाराशर (Guruprasad Parashar) को नोडल अधिकारी बना दिया। पुलिस से संबंधित सभी मरीजों के लिए अस्पताल में बेड की व्यवस्था से लेकर उनको दवाई उपलब्ध करवाने तक का जिम्मा पाराशर के पास था। इसके अलावा पुलिस की अन्य यूनिट के साथ बाहर से आकर वरिष्ठ अधिकारियों से मदद मांगने वालों के लिए भी बेड की व्यवस्था करना थी। पाराशर ने बताया कि उन्होंने सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों में लगातार संपर्क रखा और इस दौरान लगभग 700 लोगों के लिए बेड की व्यवस्था की। इसके अलावा 6000 लोगों का टेस्ट भी करवाया।
48 आरोपियों पर रासुका
वहीं दूसरी ओर शहर में रेमडेसिविर (Remdesivir) और टोसी इंजेक्शन (Tosi Injection) की कमी के चलते इसकी कालाबाजारी हो रही थी। क्राइम ब्रांच ने अपनी पूरी ताकत इस पर नकेल कसने में लगा दी। इस दौरान पुलिस ने 68 लोगों पर केस दर्ज किया। इनमें से 48 लोगों पर रासुका में कार्रवाई की गई, जिससे शहर में इसकी कालाबाजारी पर कुछ अंकुश भी लग सका।
परिवार भी चपेट में, खुद वैक्सीन के कारण बच गए
इस दौरान में एएसपी की पत्नी और बच्चे भी कोरोना (Corona) की चपेट में आ गए। इस दौरान वे अपने परिवार के साथ पुलिस परिवार की सेवा करते रहे। कई बार देर रात को लोगों को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। हालांकि वे वैक्सीन लगवाने के कारण खुद सुरक्षित रहे।
हिम्मत हारने के कारण कंट्रोल रूम के एक आरक्षक की जान नहीं बच सकी
पाराशर बताते हैं कि दूसरी लहर में काफी लोगों की मौत भी हुई। कंट्रोल रूम के एक आरक्षक के लिए अस्पताल में बेड की व्यवस्था की गई थी, लेकिन वहां कुछ लोगों की मौत होने पर आरक्षक ने हिम्मत हार दी थी। उसकी जहां उन्होंने व्यक्तिगत काउंसलिंग की, वहीं एक्सपर्ट से भी बात करवाई, लेकिन वह नहीं बच सका। उन्हें इस बात का दु:ख भी रहा।
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