नई दिल्ली (New Delhi)। यूरोपीय संघ (European Union)के अर्थ आब्जर्वेशन प्रोग्राम कॉपरनिकस(Earth Observation Program Copernicus) द्वारा प्रकाशित उपग्रहीय डेटा (Satellite Data)के मुताबिक, सोमवार 22 जुलाई पृथ्वी (Earth)का अब तक का सबसे गर्म दिन रिकार्ड किया गया है। 22 जुलाई को वैश्विक औसत तापमान 17.15 डिग्री सेल्सियस था, जो पिछले दिन के मुकाबले लगभग 0.06 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। इसके पूर्व, अगस्त 2016 में 16.92 डिग्री सेल्सियस का पिछला रिकॉर्ड कायम हुआ था।
रिपोर्ट के अनुसार, कोयला, तेल और गैस के जलने तथा वनों की कटाई के कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप वैश्विक तापमान अब लगभग एक लाख 25 हजार वर्षों के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुका है। पिछले दशक के दौरान वैश्विक तापमान करीब 6500 साल पहले की पिछली गर्म अवधि की तुलना में ज्यादा गर्म था। अनुमान है कि सबसे हालिया गर्म अवधि लगभग एक लाख 25 हजार साल पहले थी, तब धरती के गर्म होने से पहले के तापमान की तुलना में 0.5-1.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा थी। यानी पिछली बार जब धरती पर लगातार इस महीने में तापमान देखा गया था, वह लगभग एक लाख 25 हजार साल पहले एमियन काल के दौरान था, जब आधुनिक मनुष्यों के पूर्वज होमो इरेक्टस धरती पर विचरण करते थे। उस समय समुद्र का स्तर आज की तुलना में लगभग 8 मीटर अधिक था, और दरियाई घोड़े उत्तर में ब्रिटिश द्वीपों तक में रहते थे।
तो तापमान में बढ़ोतरी होती रहेगी
हाल के दशकों में तापमान में वृद्धि ठीक वैसी ही है, जैसा कि अनुमान लगाया गया था। यह अंदाजा लगाया गया था कि अगर जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल जारी रहा तो तापमान में ऐसी बढ़ोतरी जरूर होगी। उदाहरण के लिए वर्ष 1981 के एक अध्ययन ने एक जलवायु मॉडल पेश किया जिसने सटीक रूप से अनुमान लगाया कि अगले 40 वर्षों में तापमान कैसे बढ़ेगा। इंपीरियल कॉलेज लंदन में जलवायु वैज्ञानिक डॉक्टर जायस कीमूतई ने कहा, ‘यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा कि जलवायु विज्ञान ने हमें बताया था कि अगर दुनिया कोयला, तेल और गैस का दहन जारी रखेगी तो क्या होगा। जब तक हम जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल बंद नहीं कर देते और नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाते तब तक यह धरती और भी गर्म होती रहेगी।
दुनिया में तापमान इतना बढ़ा
खाड़ी देशों में तापमान 60 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया। ईरान में तापमान 42 डिग्री सेल्सियस और दुबई में 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जबकि अबू धाबी में तापमान सूचकांक (आर्द्रता को ध्यान में रखते हुए) 61 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। मिस्र सहित कई क्षेत्रों में रात का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा। वहां बिजली की बढ़ती मांग के कारण गर्म रातों के दौरान अस्थायी रूप से बिजली गुल रही। रात के वक्त रिकॉर्ड तोड़ने वाले तापमान का मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है क्योंकि गर्म रातें गर्मी से उबरने में बाधा डालती हैं और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का जोखिम बढ़ाती हैं।
रेड अलर्ट का करना पड़ा सामना
यूरोप के कुछ हिस्सों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया, जबकि मोरक्को और अल्जीरिया में यह 50 डिग्री सेल्सियस के करीब था। दक्षिणी और पूर्वी यूरोप के कई शहरों में गर्मी, जंगल की आग और बिजली ग्रिड पर दबाव के कारण रेड अलर्ट का सामना करना पड़ा। यूनान ने अपनी सबसे शुरुआती हीटवेव दर्ज की, जिसमें लगातार 11 दिनों तक तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा। अन्य प्रभावित देशों में इटली, क्रोएशिया और अल्बानिया शामिल रहे।
जंगल की आग बढ़ रही
वहीं दुनिया के कई क्षेत्रों में रिकॉर्ड गर्मी ने जंगलों की आग को बढ़ावा दिया। बोलीविया, पराग्वे और ब्राजील के बीच दुनिया के सबसे बड़े वेटलैंड पैंटानल में जंगल में लगी भीषण आग ने वन्यजीवों को नष्ट करना जारी रखा। साल 2024 में अब तक 77,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक भूमि जल चुकी है, जो पिछले रिकॉर्ड से दोगुनी है। कैलिफोर्निया में भीषण गर्मी की वजह से व्यापक आग फैल गई और लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने के लिए मजबूर होना पड़ा।
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